छत्तीसगढ़

CG में बना सुसाइड रोकने वाला डिवाइस,फेस एक्सप्रेशन, बिहेवियर की निगरानी करेगी मशीन

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भिलाई 2 नवंबर 2022: एक इंसान क्या सोच रहा है। उसके दिमाग में किस तरह की बाते चल रही हैं। कहीं वो सुसाइड करने जैसा बड़ा कदम तो नहीं उठा रहा है। इन सारी चीजों की जानकारी एक छोटा सा डिवाइस आपको पहले ही बता देगा। इस डिवाइस को शहर के एक निजी इंजीनियरिंग कॉलेज की फैकल्टी ने बनाया है। फैकल्टी का दावा है कि यह डिवाइस तेजी से बढ़ रही आत्महत्या की घटनाओं को रोकेगा।

इंजीनियरिंग कॉलेज की कंप्यूटर साइंस विभाग की फैकल्टी ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग का उपयोग कर यह डिवाइस तैयार किया है। यह डिवाइस डिप्रेशन लेवल, फेस एक्सप्रेशन, बोलने के तरीके और हावभाव का एनालिसिस कर सुसाइडल टेंडेंसी का पता लगाएगा। इस डिवाइस का आकार एक पेन की तरह है।

डिवाइस का नाम “सुसाइड टेंडेंसी डिटेक्टिंग स्कैनर” रखा गया है। इस डिवाइस को भारत सरकार के पेटेंट कार्यालय ने पेटेंट कर दिया है। शोधकर्ताओं ने बताया कि ये डिवाइस स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, पुलिस, औद्योगिक और सामान्य ऑफिसों के लिए काफी उपयोग होगा। इसका उपयोग करके डिप्रेशन से परेशान लोगों की मॉनिटरिंग करके उन्हें सुसाइड की तरफ जाने से पहले ही रोका जा सकेगा।

इस तरह काम करेगी डिवाइस

इस डिवाइस में एआई व मशीन लर्निंग की विशेष कोडिंग जैसे प्रोग्राम फीड हैं। यह उपकरण करोड़ों एक्सप्रेशन और बिहेवियर को फीड करता है। इसके बाद इसमें लगा स्कैनर उन्हें अपने प्रोग्रामिंग से मैच करता है। डिवाइस में लगा सुपर कैमरा फेस को स्कैन करता है। साथ ही बातों के दौरान आने वाले लैग और बदलावों का भी पता लगाता है। इसे मनोवैज्ञानिक काउंसलिंग के दौरान एक पैन की तरह टेबल पर रख कर उपयोग कर सकेंगे। जिसकी भी काउंसलिंग की जाएगी उसे ऐसे किसी भी डिवाइस का पता भी नहीं लग पाएगा। वह सहज रूप से सारी बातें साझा करेगा। काउंसलर सवाल पूछेगा। उससे मिले जवाबों को यह डिवाइस एनालिसिस करेगा। सभी तथ्यों को परखने के बाद डिवाइस सुसाइड टेंडेंसी का ग्राफ बता देगा। इसके आधार पर उसे आगे डॉक्टर या स्पेशलिस्ट को भेजा जा सकता है।

सोशल मीडिया पोस्ट भी स्कैन करेगी डिवाइस

यह डिवाइस केवल आदमी का चेहरा ही रीड नहीं करेगी, बल्कि यह सोशल मीडिया के पोस्ट या हाथ से लिखे गए लेटर को पढ़कर भी उसकी इमोशनल स्थिति का सटीक पता लगा सकता है। अपने पोस्ट में व्यक्ति ने कितने निगेटिव और कितने पॉजिटिव शब्द लिखे यह भी एक क्लिक में पता चल सकता है।

विभागों को सौपेंगे डिवाइस

भारत सरकार से पेटेंट मिलने के बाद अब जल्द ही शोधकर्ता इसे अस्पताल, स्कूल और कॉलेजों को टेस्टिंग के जरिए सौंपेगा। पुलिस विभाग को भी इससे मदद मिलेगी। आए दिन बढ़ रहे सुसाइड मामलों की रोकथाम के लिए कॉलेज टेक्नोलॉजी ट्रांसफर करने जा रहा है। एक निजी कंपनी ने इस डिवाइस को तैयार करने में रुचि भी दिखाई है। इसको तैयार करने में डॉ. अजय कुशवाहा, डॉ. शाजिया इस्लाम, प्रो. मीनू चौधरी, प्रो. तृप्ति शर्मा, प्रो. निलाभ साव और अनीशा सोनी का प्रमुख योगदान रहा।