आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने दी अधिकारियो एवं कर्मचारियो को हिदायत ,दिव्यांगजनों के साथ अधिकारी-कर्मचारी सम्मानजनक रखें व्यवहार

Share this

भाटापाराः- छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की प्रदेश स्तर में 208वीं एवं जिला स्तर में 5वीं नम्बर की सुनवाई हुई सम्पन्न। आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने दी अधिकारियो एवं कर्मचारियो को हिदायत ,दिव्यांगजनों के साथ अधिकारी-कर्मचारी सम्मानजनक रखें व्यवहार ,सामाजिक बहिष्कार करने वालों के खिलाफ आयोग ने की एफआईआर की अनुशंसा, महिलाओं के सामाजिक बहिष्कार वापस नही लेने वालों के खिलाफ अब थाने में एफआईआर भी दर्ज होगा। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग ने सामाजिक बहिष्कार के एक प्रकरण की सुनवाई करते हुए धारा 7 के तहत सभी अनावेदकगण के विरूद्ध थाना बलौदाबाजार में अपराध दर्ज करने की अनुशंसा की ताकि समाज में किसी भी तरह का समाजिक बहिष्कार पर स्थाई रूप से रोक लगाई जा सके। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक की अध्यक्षता में सोमवार की प्रदेश स्तर में 208वीं एवं जिला स्तर में 5वीं नम्बर की सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान आयोग की सदस्य डॉ अनिता रावटे सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे। सुनवाई में कुल 41 प्रकरण रखे गये थे जिसमें से 22 प्रकरण नस्तीबद्ध हुए, 06 प्रकरण रायपुर स्थानांतरण किया गया एवं 01 प्रकरण डी.एस.पी. बलौदाबाजार को जांच हेतु दिया गया।

प्रकरण के दौरान आवेदिका ने बताया कि मामला सामाजिक बहिष्कार का है और उसे समाज से छोड़ दिया गया है। आयोग द्वारा कुछ अनावेदकगणों की उपस्थिति के कारण प्रकरण रायपुर सुनवाई के लिए रखा गया। अगले सुनवाई में मुख्य अनावेदक और सामाजिक पदाधिकारियों को बुलाकर रायपुर में सुनवाई की जायेगी।एक अन्य प्रकरण में आवेदिका द्वारा सामाजिक बहिष्कार का शिकायत दर्ज कराया गया था। जिसमें पूर्व में सुनवाई के दौरान अनावेदकगणों ने समाज में मिलाने की बात आयोग की सुनवाई के दौरान कबूल किया था जिसमें आयोग द्वारा टीम का गठन किया गया था। जिसमें जिला सरंक्षण अधिकारी एवं सखी केन्द्र प्रशासक को उभय पक्ष के गांव भेजा गया था जिसमें मौके पर जाकर दिनांक 20.09.2022 को प्रक्रिया का निष्पादन करना था। लेकिन अनावेदक सरपंच के द्वारा कार्यवाही में व्यवधान डाला गया और सखी केन्द्र प्रशासक और संरक्षण अधिकारी के साथ दुर्व्यवहार किया गया और हस्ताक्षर करने से मना किया गया। सामाजिक बहिष्कार करने की घोषणा गांव में नही करेंगे इस पूरे प्रकरण में सरपंच, पंच एवं अन्य 06 अनावेदकगणों के द्वारा व्यवधान डाला गया और आवेदिका का सामाजिक बहिष्कार समाप्त नहीं किया गया। सामाजिक बहिष्कार धारा 7 नागरिक अधिकारी संरक्षण अधिनियम के तहत भारतीय दण्ड सहिंता में अपराध की श्रेणी में आता है। आवेदिका को संवैधानिक अधिकार से अनावेदकगण द्वारा विरक्त किया जा रहा था। ‘धारा 7 के तहत सभी अनावेदकगण के विरूद्ध थाना बलौदाबाजार में अपराध दर्ज करने के लिए आयोग ने अनुशंसा की ताकि समाज में किसी भी तरह का समाजिक बहिष्कार पर स्थाई रूप से रोक लगाई जा सके।

अन्य प्रकरण में आवेदिका द्वारा मानसिक प्रताडना का प्रकरण प्रस्तुत किया गया था आवेदिका 90 प्रतिशत विकलांग है एवं कृषि विभाग में सहायक साख्यिकी के पद में लगभग 07-08 साल से कार्यरत हैं। उनकी दिव्यांगता के कारण कई कार्य जैसे तेजी से चलना, सारी फाईले हाथ में उठाना सामान्य लोगों की तरह नहीं कर सकती हैं. लेकिनइसके बाउजूद सामान्य व्यक्ति की तरह अपनी जिम्मेदारी पूरा करती हैं। अनावेदक शिकायत के समय प्रभारी उपसंचालक कृषि के पद पर पदस्थ थे उनके द्वारा शासकीय कार्यो का विभाजन किया गया था जिसमें आवेदिका को असुविधा हो रही थी। शासकीय कार्य के मीटिंग के दौरान कही गई बातों से आवेदिका को ऐसा लगा कि केवल उसे टारगेट कर सारी बाती कही गई है। उभय पक्ष को विस्तार से सुनने के बाद आयोग द्वारा समझाईस दिये जाने पर अनावेदक ने आवेदिका के प्रति हुए व्यवहार के प्रति खेद व्यक्त किया। आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक द्वारा कहा गया कि सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को इस प्रकरण के माध्यम से समझाईश दिया जाता है कि दिव्यांग कर्मचारियों के साथ संवेदन शीलता के साथ पेश आये ताकि वो समाज की मुख्य धारा के साथ आत्मसम्मान के साथ अपने कार्य को कर सके।