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गुणवत्ताहीन शिक्षा न देशहित में है और न शिक्षण संस्थानों के और न ही विद्यार्थियों के…. शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए सरकार पानी की तरह पैसा बहाती तो है। बावजूद इसके शिक्षा की बदहाली एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। सरकार द्वारा पानी की तरह पैसा बहाने के बावजूद योग्य शिक्षकों का अभाव शिक्षा को व्यापार बना रहा है। अफसोस है कि जिले में शिक्षा व्यवस्था का हाल बेहाल है, अधिकारियों का इस ओर ध्यान नहीं है। शिक्षकों की नियुक्ति के नाम पर हाल ही में भ्रष्टाचार सामने आने पर जिला शिक्षा अधिकारी सहित कई अधिकारियों को निलंबित भी किया गया, लेकिन बदहाली दूर होने का नाम नहीं ले रही है। बलौदा बाजार जिले में प्राथमिक शिक्षा की बात करें तो वह काफी दयनीय है। न तो यहां योग्य शिक्षक हैं और न ही पूर्ण रूप से शैक्षणिक कार्य के लिए व्यवस्था है। स्कूल भवनों में कक्ष की कमी, बच्चों के बैठने की व्यवस्था, शिक्षकों का अभाव, स्कूल जाने के मार्ग की जर्जर हालत पढ़ाई के राह में रोड़ा अटका रहे हैं। स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम विद्यालयों को छोड़कर किसी अन्य स्कूल में कोई इंतजाम नहीं है। बलौदा बाजार जिला मुख्यालय के एक मात्र अंग्रेजी माध्यम सरकारी स्कूल नवीन अंग्रेजी माध्यम विद्यालय में शिक्षकों की कमी को लेकर अभिभावक डीईओ से लेकर कलेक्टर तक से मिल चुके हैं, लेकिन अब तक समस्या का समाधान नहीं निकल पाया है। इससे बच्चों का आधार कमजोर होना लाजमी है। हालत यह हैं कि बच्चों को खुद की पढ़ाई का इंतजाम खुद करना पड़ रहा है। जिला मुख्यालय के स्कूल में ही बच्चे खुद ही एक दूसरे को पढ़ा रहे हैं। यहां सर्वप्रथम योग्य शिक्षकों की नियुक्ति करने की आवश्यकता है। बावजूद इसके प्रशासन अब तक इस और ध्यान नहीं दिया है। सीबीएसई माध्यम से यहां पढ़ाई होने के बाद भी शिक्षकों का अभाव है। हिंदी और संस्कृत के अलावा तमाम शिक्षकों की कमी से बच्चे परेशान हो रहे हैं। परेशानियों से तंग आकर अब अभिभावकों ने ना सिर्फ बैठक की बल्कि एक बार फिर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर शिक्षक का इंतजाम करने और व्यवस्था दुरुस्त करने की मांग की है। कलेक्टर चंदन कुमार ने मामला संज्ञान में आने पर जांच कराने की बात कही। अब देखना होगा कि कब तक जिला प्रशासन स्कूल में शिक्षक की व्यवस्था करता है और कब से स्टूडेंट्स को उनका कोर्स पूरा करने के लिए शिक्षक मिलते हैं।