अहम फैसलों के साथ खत्म हुआ शीतकालीन सत्र, राजनीतिक टकराव ने बढ़ाई सदन की गर्मी

नई दिल्ली। संसद का 19 दिन का शीतकालीन सत्र शुक्रवार को औपचारिक रूप से समाप्त हो गया। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सदन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने की घोषणा की, जिसके साथ ही 1 दिसंबर से शुरू हुआ यह सत्र अपने समापन पर पहुंच गया। इस दौरान संसद की कार्यवाही कुल 92 घंटे 25 मिनट तक चली।
सत्र के आखिरी दिन कार्यवाही शुरू होते ही लोकसभा अध्यक्ष ने संक्षिप्त समापन संबोधन दिया। उन्होंने बताया कि इस शीतकालीन सत्र में लोकसभा की उत्पादकता 111 प्रतिशत रही। कई मौकों पर सांसदों ने देर रात तक बैठकर महत्वपूर्ण विधेयकों और राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा की। इसके बाद सदन को स्थगित कर दिया गया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सदन में मौजूद रहे।
लोकसभा अध्यक्ष के संबोधन के दौरान कुछ विपक्षी सांसदों ने ‘महात्मा गांधी की जय’ के नारे लगाए। शीतकालीन सत्र के दौरान कुल 15 बैठकें हुईं, जिनमें राजनीतिक और नीतिगत मुद्दों पर व्यापक चर्चा देखने को मिली।
दो मुद्दों पर लंबी राजनीतिक बहस
सत्र के दौरान दो प्रमुख विषयों पर लंबी बहस हुई। पहली चर्चा ‘वंदे मातरम्’ की 150वीं वर्षगांठ को लेकर हुई, जिसकी शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की। इस विषय पर 11 घंटे से अधिक समय तक चर्चा चली और 65 सांसदों ने अपने विचार रखे।
दूसरी अहम बहस चुनाव सुधारों को लेकर हुई, जो करीब 13 घंटे तक चली। इस दौरान 63 सांसदों ने भाग लिया। विपक्ष ने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण, मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया तथा कथित ‘वोट चोरी’ के आरोपों को लेकर सरकार को घेरा। वहीं सरकार ने स्पष्ट किया कि चुनाव आयोग के कार्यक्षेत्र से जुड़े मामलों पर सदन में चर्चा की सीमाएं तय हैं।
आठ महत्वपूर्ण विधेयकों को मिली मंजूरी
शीतकालीन सत्र के दौरान संसद ने कुल आठ अहम विधेयकों को पारित किया। इसके साथ ही वर्ष 2025-26 के लिए अनुपूरक अनुदान मांगों को भी मंजूरी दी गई। पारित विधेयकों में ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार की अवधि बढ़ाने से जुड़ा वीबी-जी राम-जी विधेयक, नागरिक परमाणु क्षेत्र में निजी निवेश को अनुमति देने वाला शांति विधेयक और बीमा क्षेत्र में एफडीआई सीमा को 74 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत करने वाला विधेयक शामिल है।
इसके अलावा ‘सबका बीमा सबकी रक्षा (संशोधन) विधेयक, 2025’ को दोनों सदनों से स्वीकृति मिली। संसद ने 65 पुराने संशोधन कानूनों और छह अप्रचलित मूल कानूनों को समाप्त करने से जुड़े विधेयक को भी मंजूरी दी। मणिपुर जीएसटी संशोधन, केंद्रीय उत्पाद शुल्क और स्वास्थ्य सुरक्षा से जुड़े उपकर संबंधी विधेयक भी इस सत्र में पारित हुए।
उच्च शिक्षा व्यवस्था में सुधार के उद्देश्य से लाए गए ‘विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान विधेयक, 2025’ को दोनों सदनों की संयुक्त समिति को भेजा गया है। वहीं बाजार प्रतिभूति संहिता से संबंधित एक विधेयक को स्थायी समिति के पास विचार के लिए भेजा गया।
प्रश्नकाल और संसदीय गतिविधियां
सत्र के दौरान 300 तारांकित प्रश्नों को स्वीकार किया गया, जिनमें से 72 के मौखिक उत्तर दिए गए। इसके अलावा 3,449 अतारांकित प्रश्न भी सूचीबद्ध किए गए। शून्यकाल में 408 तात्कालिक मुद्दे उठाए गए, जबकि नियम 377 के तहत 372 मामलों पर चर्चा हुई।
कुल मिलाकर, संसद का यह शीतकालीन सत्र जहां महत्वपूर्ण विधायी फैसलों के लिए जाना गया, वहीं तीखी राजनीतिक बहसों ने लोकतांत्रिक संवाद को जीवंत बनाए रखा।



