‘POK की वापसी से दूर होगी समस्या’: कश्मीर मुद्दे पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर का बड़ा बयान

'POK की वापसी से दूर होगी समस्या': कश्मीर मुद्दे पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर का बड़ा बयान
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नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने जम्मू-कश्मीर और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर ( POK) को लेकर भारत के रुख को स्पष्ट किया है। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर की अधिकांश समस्याओं का समाधान हो चुका है, लेकिन पीओके की वापसी के बाद बाकी समस्याएं भी दूर हो जाएंगी।

पीओके पर कड़ा संदेश

विदेश मंत्री ने कहा कि जम्मू-कश्मीर की केवल वही समस्या बची है, जो पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले क्षेत्र से जुड़ी है। उन्होंने दो टूक कहा कि पीओके भारत का हिस्सा है और इसे वापस लेना राष्ट्रीय प्रतिबद्धता है।

एस. जयशंकर ने सरकार की उपलब्धियां गिनाते हुए कहा कि अनुच्छेद 370 हटाने के बाद विकास, आर्थिक गतिविधियों और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयास किए गए हैं। जम्मू-कश्मीर में सफलतापूर्वक चुनाव कराए गए, अब केवल उस हिस्से की वापसी का इंतजार है, जो पाकिस्तान के कब्जे में है। जिस दिन यह मिल जाएगा, कश्मीर मुद्दे का पूरी तरह समाधान हो जाएगा।

पीओके को लेकर राष्ट्रीय संकल्प

विदेश मंत्री ने 9 मई 2024 को भी कहा था कि पीओके भारत का अभिन्न हिस्सा है और इसे वापस लाने के लिए सभी भारतीय राजनीतिक दल प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के गार्गी कॉलेज में छात्रों को संबोधित करते हुए कहा था कि भारतीय संसद का भी यही संकल्प है।

अनुच्छेद 370 हटने के बाद बढ़ी चर्चा

एस. जयशंकर ने कहा कि अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद पीओके पर सोचने का नया नजरिया मिला है। पहले इसे ज्यादातर लोग भूल चुके थे, लेकिन अब यह राष्ट्रीय चेतना का हिस्सा बन चुका है। उन्होंने कहा, “कोई चीज पाने के लिए पहले उसे विचारों में लाना जरूरी होता है।”

ओडिशा में भी दोहराया था संकल्प

विदेश मंत्री ने 5 मई 2024 को ओडिशा के कटक में भी पीओके पर भारत की रणनीति स्पष्ट की थी। उन्होंने कहा था कि पीओके कभी भी भारत से बाहर नहीं रहा। इसे वापस लेना हमारी राष्ट्रीय जिम्मेदारी है और संसद ने भी इस संबंध में संकल्प पारित किया है।

‘जानबूझकर भुलाया गया था पीओके मुद्दा’

विदेश मंत्री ने कहा कि आजादी के शुरुआती वर्षों में पाकिस्तान से इस क्षेत्र को खाली करने के लिए न कहना एक बड़ी गलती थी। पीओके के मुद्दे को जानबूझकर भुलाया गया था, लेकिन अब इसे पुनः राष्ट्रीय सोच का हिस्सा बनाया गया है।