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छत्तीसगढ़ में सुवा नाच बेहद लोकप्रिय है। दीपावली के आसपास सुवा को एक टोकरी में रखकर महिलाएं यह नृत्य करती हैं। इसके माध्यम से वे अपने सुखदुख साझा करती हैं। सुवा गीत के माध्यम से वे अपनी आवाज की भी अभिव्यक्ति करती हैं और अपने समय के समाज के बारे में भी बताती हैं। तोते के जैसे हरे वस्त्रों में समूह में किया गया यह नृत्य बेहद आकर्षक होता है। गांधी ने जब यह नृत्य देखा तो वे भी सुवा नर्तकों के साथ समूह में शामिल हो गईं और साथ ही थिरकने लगीं।