छत्तीसगढ़

नैय्या डूबाने वाले छुटभैया चूजा नेता BJP में भी, रहना होगा सावधान, आकाश में उड़ने की ख्वाहिश

रायपुर। कांग्रेस Congress में कई पदाधिकारी थे जो अखबारों में विज्ञापन Advertisement छपवाकर उसे नेताओं को दिखते थे और भुगतान की बरी आती थी तो साफ टूर पर मुकर जाते थे, जनता से रिश्ता के पास सभी कांग्रेस नेताओं की सूची है जिसमे तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम के जन्म दिन पर विज्ञापन तो छपवा लिया लेकिन आज तारीख तक भुगतान नहीं हो पाया जिसमे कुछ नेता भाजपा में भी शामिल हो गए हैं। कल के अंक में उन नेताओ की सूचि भी प्रकाशित होगी जिसमे उनको कितनी राशि का भुगतान किसे करना है लिखा हुआ है। कमोबेश यही हाल अब भाजपा में भी हो गई है। कुछ भाजपाई छुटभैया चूजा नेता जो मंत्री विधायक के इर्दगिर्द रहकर अधिकारियो पर धौंस जमाते हैं और अपना उल्टा सीधा काम के लिए दबाव बनाते हैं। भाजपा में एक चूजा नेता कुछ इसी प्रकार का है जिसकी विचारधारा कांग्रेसियों से मिलती जुलती है हालांकि वह शुरू से भाजपाई ही रहा है और रायपुर सांसद बृजमोहन के करीब ही घूमता रहा है।

और श्री अग्रवाल को भी चूना लगाने और बदनाम करने में पीछे नहीं रहा वह छुटभैया चूजा नेता । इसी कारण बृजमोहन से मिली लताड़ के बाद वह चूजा नेता तत्कालीन मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह के आसपास भी मंडराने लगा था, लेकिन समय रहते डा रमन सिंह ने बाहर का रास्ता दिखा दिया। जब भी कोई राष्ट्रीय नेता का रायपुर आगमन होता है तो किसी तरह से वह चूजा नेता जुगाड़ करके एयरपोर्ट पर अगुवानी के लिए अपना नाम जुड़वा लेता है। इन्ही फोटो को दिखाकर अधिकारियों पर धौंस जमाता है। अपनी गाडिय़ां भी सरकारी दफ्तरों में अटैच करवा लिया है। उक्त चूजा नेता रातोरात आकाश में चमकना चाहता है। उक्त चूजा नेता की गतिविधियां ऐसी ही रही तो बृजमोहन और अन्य नेताओं के लिए विरोधियों की जरूरत नहीं पड़ेगी।

वो खुद आस्तीन के सांप पाल रहे हैं ऐसा माना जा रहा है। गौरतलब है कि उक्त छुटभैया उक्त चूजा नेता चाटुकारिता कर बृजमोहन के नजदीक हो गया है। ऐसे नेताओं से बृजमोहन अग्रवाल को सावधान रहने की जरूरत है, नहीं तो ये चूजा नेता बीच मंझधार में नैया डूबाने में देर नहीं करेंगे। हालांकि बृजमोहन छत्तीसगढ़ की राजनीती के चाणक्य माने जाते हैं और अब वे केंद्र में अपना जलवा दिखाएंगे ऐसे ऐरेगैरे छुटभैये टाइप चूजा नेता कुछ बिगड़ नहीं सकता फिर भी बदनाम करने में ये छुटभैये पीछे नहीं रहते इसलिए सावधान रहना होगा ही। भाजपाई सूत्र बताते हैं कि अभी वह सीएम के नजदीकी बनने की कोशिश कर रहा है।

अगर सही ढंग से जांच की जाए तो बहुत बड़ा विज्ञापन घोटाला सामने आ सकता है। कई अखबारों को वह लाखों रूपये का चूना लगा चूका है। अपने नेता का विज्ञापन छपवाने के लिए वह लोगों से पैसा उगाही कर विज्ञापन तो छपवा लेता है लेकिन भुगतान करने में हीलाहवाला करता है और अंत में भुगतान करता ही नहीं। मजे की बात अपने जन्मदिन का भी विज्ञापन फुलपेज के का छपवाता है लेकिन भुगतान नहीं करता। जनता से रिश्ता में भी चूजा नेता ने अपने जन्म दिन विज्ञापन प्रकाशित करवाया है लेकिन आज तक भुगतान नहीं किया। अखबारवालों को लगता है की बृजमोहन अग्रवाल से नजदीकी है भुगतान हो जायेगा लेकिन छापने के बाद अपनी असलियत दिखा देता है इससे निश्चित तौर पर बृजमोहन अग्रवाल की बदनामी होगी। ऐसे छुटभैया चूजा नेता आकाश की ऊंचाइयों में जल्दी पहुंचना चाहता है उससे दूरी बना लेना चाहिए। ये छुटभैया नेता ने विज्ञापन छपवाकर अखबार के प्रतिनिधियों से दूरी बनाए रखने को अपनी होशियारी समझता है।

राजनीति में अपने नेताओं के जन्मदिवस पर विज्ञापन देने के लिए हलचल तो मचती ही है परेशानी तो तब होती है जब विज्ञापन का भुगतान नहीं होता। इस अवसर को हर नेता खोना नहीं चाहते थे और बड़ा बड़ा विज्ञापन अखबारों में देकर अपने नेता के नजदीकी बनने की होड़ मचती है। छुटभैया ऐसा मौका खोना नहीं चाहते। बड़े अखबारों में तो पहले भुगतान मिलने के बाद ही राजनैतिक विज्ञापन का प्रकाशन किया जाता है लेकिन छोटे और मझोले अखबार में बाद में भुगतान मिलने की उम्मीद में विज्ञापन प्रकाशित कर देते हैं अंत में उन्हें भुगतान नहीं मिलता। लेकिन ये छुटभैया नेता विज्ञापन की वसूली कर अपनी जेबें भर लेता है और अखबारों को भुगतान नहीं करता। कई अखबार वालो ने सामूहिक रूप से बृजमोहन और सीएम सहित संगठन में भी शिकायत करने की योजना बनाई है।

उसे इस सम्बन्ध में मोबाइल भी लगाया जाता है किन्तु उनका मोबाईल बंद बताता है या अखबारनवीशों का नंबर ब्लॉक कर देते हैं। और सिर्फ आकाश में उडऩा उसका ख्वाब हो गया है। छुटभैया चूजा नेताओं की तरफ से दिए गए विज्ञापन के बाद राजनीतिक गलियारों में तरह-तरह अटकलें लगनी शुरू हो जाती है। इस सियासी घटनाक्रम से जुड़ी बड़ी और प्रमुख बात तो यही रहती है की विज्ञापन देकर किसी भी सूरत में मुख्यमंत्री और बड़े नेताओं का नजदीकी हासिल कर लें और निगम मंडल या टिकट के दावेदारों में अपना नाम जुड़वा लें लेकिन परेशानी तब पैदा होती है जब वे उन के द्वारा दिए गए विज्ञापनों का भुगतान ही रोककर उन अखबारों से दुश्मनी मोल ले लेते हैं। छुटभैये नेता तरह-तरह के विज्ञापन देते हैं जिसमे वे मुख्यमंत्री या अपने पार्टी के बड़े नेताओ का महिमामंडन करते नहीं थकते । लेकिन भुगतान के नाम पर अखबार वालों को धेला तक नहीं देते।

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Kailash Jaiswal

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