जयपुर में सम्पन्न हुआ अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ का 9वां राष्ट्रीय अधिवेशन — छत्तीसगढ़ से पदाधिकारी हुए शामिल, शिक्षा संवर्धन पर हुई गहन चर्चा

रायपुर। अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ का 9वां राष्ट्रीय अधिवेशन जयपुर (राजस्थान) में भव्य रूप से संपन्न हुआ। तीन दिवसीय इस राष्ट्रीय अधिवेशन में देशभर से 3500 से अधिक शिक्षकों ने भाग लिया, जिनमें छत्तीसगढ़ प्रांत के पदाधिकारी और प्रतिनिधि भी शामिल हुए।
शिक्षा, संस्कृति और समाज पर केंद्रित रहा अधिवेशन
महासंघ के प्रांत संयोजक प्रो. आर. डी. शर्मा ने बताया कि अधिवेशन के दौरान शैक्षिक उन्नयन, शिक्षकों की समस्याएं, भारतीय संस्कृति आधारित शिक्षा, समाज और सुरक्षा विषयों पर केंद्रित 10 तकनीकी सत्र आयोजित किए गए।
राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने अधिवेशन का शुभारंभ करते हुए कहा कि “शिक्षक राष्ट्र के निर्माता हैं, जिन्होंने प्राचीन काल से ही समाज और संस्कृति के विकास में अग्रणी भूमिका निभाई है।”
स्मारिका और पुस्तकों का विमोचन
उद्घाटन सत्र में अधिवेशन की स्मारिका, “हमारा विद्यालय, हमारा तीर्थ” पुस्तक एवं महासंघ का वार्षिक कैलेंडर जारी किया गया। इस अवसर पर राजस्थान के उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बेरवा और शिक्षा मंत्री मदन दिलावर भी उपस्थित रहे।
शिक्षा भूषण सम्मान से तीन शिक्षकों का सम्मान
शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने पर तीन शिक्षकों को ‘शिक्षा भूषण सम्मान’ से सम्मानित किया गया —
- उदयपुर के प्रो. भगवती प्रकाश शर्मा,
- दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रो. सुषमा यादव,
- और केरल के बीजे कुमार।
विचार विमर्श में प्रखर वक्ताओं के विचार
अधिवेशन में जूना पीठाधीश्वर आचार्य अवधेशानंद गिरी ने कहा कि “गुरु ही बालक का सृजन, पालन और आज्ञान का संहार करता है।”
आरएसएस के पूर्व सह–सरकार्यवाह सुरेश सोनी ने कहा कि “भारतीय शिक्षा व्यवस्था में गुरु–शिष्य परंपरा ही ज्ञान की संवाहक रही है।”
वहीं राज्यसभा सदस्य डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने अपने संबोधन में कहा कि “अब समय आ गया है कि हम मैकाले और मार्क्स के प्रभाव से मुक्त होकर भारतीय जीवन पद्धति और मानवीय शिक्षा को अपनाएँ।”
महत्वपूर्ण वक्ता और सहभागिता
इस अवसर पर एनसीईआरटी के निदेशक प्रो. डी. पी. सकलानी, महासंघ के राष्ट्रीय संगठन मंत्री महेंद्र कपूर, राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. नारायण लाल गुप्ता और महामंत्री गीता भट्ट ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
- छत्तीसगढ़ से प्रमुख शिक्षाविदों में —
- प्रांत संयोजक डॉ. आर. डी. शर्मा,
- अध्यक्ष, अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय डॉ. श्याम लाल निराला,
- महामंत्री डॉ. फूलदास महंत,
- अध्यक्ष, संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय सरगुजा डॉ. एस. के. श्रीवास्तव,
और अध्यक्ष, कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय डॉ. नरेंद्र त्रिपाठी सम्मिलित हुए।
शिक्षकों की समस्याओं पर पारित हुए प्रस्ताव
अधिवेशन में शिक्षकों की सेवा शर्तों, पदोन्नति, वेतनमान और शिक्षण संसाधनों से जुड़ी समस्याओं पर विचार करते हुए कई प्रस्ताव पारित किए गए।
प्रांत संयोजक डॉ. शर्मा ने कहा कि “शीघ्र ही शिक्षा मंत्री एवं उच्च शिक्षा मंत्री से मिलकर प्रदेश के शिक्षकों की समस्याओं से अवगत कराया जाएगा तथा त्वरित निराकरण का अनुरोध किया जाएगा।”
मुख्य तथ्य एक नज़र में
- स्थान: जयपुर (राजस्थान)
- अवधि: तीन दिवसीय (8 अक्टूबर 2025 को सम्पन्न)
- आयोजक: अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ
- प्रतिभागी: देशभर से 3500 से अधिक शिक्षक
- सम्मान: 3 शिक्षकों को मिला “शिक्षा भूषण सम्मान”
उद्देश्य: शिक्षा में भारतीय दृष्टिकोण, संस्कृति और नवाचार को बढ़ावा देना