भाटापारा स्टेशन पर फिर वही कहानी — अफसर आए, आश्वासन मिले, समस्या वहीं की वहीं!

भाटापारा। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे, रायपुर मंडल में चल रहे विशेष अभियान 5.0 के तहत शनिवार 25 अक्टूबर को “अमृत संवाद” कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कड़ी में बिल्हा, निपानिया, भाटापारा, हथबंद और तिल्दा नेवरा रेलवे स्टेशनों पर अमृत संवाद हुए। कार्यक्रम में अपर मंडल रेल प्रबंधक बजरंग अग्रवाल की उपस्थिति रही।

लेकिन भाटापारा स्टेशन पर संवाद से ज्यादा चर्चा अफसरों के रटे-रटाए आश्वासनों की रही। पत्रकारों और स्थानीय नागरिकों ने रेलवे प्रशासन पर सवालों की बौछार कर दी। सबसे बड़ी शिकायत रही — टिकट काउंटर का बंद रहना। लोगों ने कहा कि स्टेशन पर अक्सर टिकट काउंटर बंद मिलता है, या कर्मचारी नदारद रहते हैं। नतीजा — यात्रियों को बिना टिकट सफर करना पड़ता है या ट्रेन ही छूट जाती है।

ग्रामीण और अशिक्षित लोगों को ऑनलाइन टिकट बनाना नहीं आता, ऐसे में रेलवे की यह लापरवाही सीधे तौर पर यात्रियों के साथ अन्याय है। अफसरों के आने पर एक दिन के लिए टिकट काउंटर खोल देना जनता की आंखों में धूल झोंकने जैसा बताया गया।
अपर मंडल रेल प्रबंधक ने शिकायतों को सुनने के बाद फिर वही पुराना आश्वासन दिया — “काउंटर से भी टिकट मिलेगा।” लेकिन स्थानीय लोगों ने साफ कहा कि इस तरह के वादे पहले भी कई बार किए गए हैं, और हर बार बातें आश्वासन तक ही सीमित रह जाती हैं।

“अमृत संवाद” कार्यक्रम का उद्देश्य रेल प्रशासन और जनता के बीच सीधा संवाद स्थापित करना बताया गया, पर संवाद से ज्यादा यह औपचारिक रस्म बनकर रह गया। रेलवे की ओर से यात्री सुविधाओं, स्टेशन सौंदर्यीकरण और पुनर्विकास की बातें जरूर की गईं, लेकिन जनता के वास्तविक दर्द — टिकट, गंदगी, और अव्यवस्था — पर ठोस कदम उठाने की बात नजर नहीं आई।
अमृत भारत स्टेशनों पर निरीक्षण के दौरान भी अधिकारी केवल निर्माण कार्यों की औपचारिक समीक्षा करते दिखे। जनता को उम्मीद थी कि इस बार कुछ ठोस निर्णय होंगे, लेकिन एक बार फिर सब कुछ “जैसा था, वैसा ही है” की तर्ज पर खत्म हो गया।
कार्यक्रम में मंडल वाणिज्य प्रबंधक राकेश सिंह समेत मंडल के अधिकारी, कर्मचारी और स्थानीय नागरिक मौजूद रहे, लेकिन संवाद के बाद भी समाधान दूर की बात बनकर रह गया।



