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Kundli: ज्योतिष शास्त्र (Astrology) के अनुसार कुंडली का 5वां भाव संतान का माना गया है. हिंदू धर्म में विवाह से पूर्व कुंडली का मिलान कराया जाता है. जिसमें इस भाव को भी देखा जाता है. ज्योतिष ग्रंथों के अनुसार यदि पत्नी की कुंडली में संतान कारक बृहस्पति ग्रह से पंचम भाव का स्वामी 6वें स्थान, 8वें और 12वे भाव में हो या 5वें, सप्तम और नवम भाव का स्वामी छठे, आठवें या बारहवें भाव में हो तो संतान प्राप्ति में बाधा आती है. इसके लिए ज्योतिषीय उपाय के तौर पर सूर्य और गाय की पूजा करना शुभ माना गया है.
ज्योतिष ग्रंथों में देव गुरू बृहस्पति (Guru) और सूर्य को संतान का कारक माना गया है. ये ग्रह शुभ और मजबूत स्थिति में होने पर संतान का सुख प्रदान करते हैं. कुंडली में यदि किसी प्रकार का दोष है तो इन उपायों को किया जा सकता है.
सूर्य उपासना (Surya Puja)- किसी भी रविवार को यदि शुक्ल पक्ष की सप्तमी पड़ रही है तो उस दिन सूर्यनारायण को जल से अर्घ्य दें.प्रत्येक रविवार को सूर्य की पूजा करने से योग्य संतान की प्राप्ति होती हैं, ऐसी मान्यता है.
गायत्री मंत्र (Gayatri Mantra)- रविवार के दिन गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए, इसके साथ ही महामृत्युंजय मंत्र का भी जाप उत्तम माना गया है. घी का दान करना करना भी शुभ फल प्रदान करता है.गौरी पूजा (Gauri Puja)- जिन लोगों को संतान की प्राप्ति में बाधा आ रही है उनके लिए गौरी पूजा शुभ मानी गई है. यह पूजन मार्गशीर्ष माह की शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से प्रारंभ करके 16 दिन लगातार करें.’ बंध्यत्व हर गौर्ये नमः ‘ मंत्र का प्रतिदिन जाप करें. अंतिम दिन तिल के तेल से भरा दीपक गौरी के सम्मुख जलाकर रख दें और रात्रि भर जागरण व गौरी भजन-कीर्तन करें. इसके बाद दान आदि का कार्य करें. ऐसा करने से भी लाभ मिलता है.
गुरू उपाय (Guru ke Upay)- ज्योतिष शास्त्र में बृहस्पति यानि गुरू को देवताओं का भी गुरू माना गया है. ये ज्ञान के कारक हैं. गुरू एक शुभ फल प्रदान करने वाले ग्रह हैं. गुरूवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से गुरू की शुभता में वृद्धि होती हैं. इसके साथ निर्धन विद्यार्थियों की मदद करने से भी गुरू की शुभता में बढ़ोत्तरी होती है.