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कोयला लेवी एवं डीएमएफ घोटाला: सुप्रीम कोर्ट से रानू साहू, सौम्या चौरसिया और सूर्यकांत तिवारी को सशर्त जमानत, छत्तीसगढ़ में रहने पर प्रतिबंध

रायपुर। कोयला लेवी घोटाले से जुड़े बहुचर्चित प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को निलंबित आईएएस अधिकारी रानू साहू, निलंबित राज्य सेवा अधिकारी सौम्या चौरसिया और व्यवसायी सूर्यकांत तिवारी को सशर्त अंतरिम जमानत प्रदान की है। हालांकि, शीर्ष अदालत ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि इन तीनों को फिलहाल छत्तीसगढ़ में रहने की अनुमति नहीं दी जाएगी। कोर्ट ने यह फैसला गवाहों को प्रभावित किए जाने की आशंका को ध्यान में रखते हुए सुनाया है।

यह आदेश न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की डिवीजन बेंच द्वारा दिया गया। कोर्ट ने आरोपियों को सशर्त जमानत देते हुए कहा कि उनकी मौजूदगी जांच को प्रभावित कर सकती है, इसलिए उन्हें राज्य से बाहर रहना होगा।

जमानत के बाद भी जेल में रहेंगे आरोपी

हालांकि सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने के बावजूद रानू साहू, सौम्या चौरसिया और सूर्यकांत तिवारी फिलहाल जेल से बाहर नहीं आ सकेंगे। इसका कारण यह है कि इनके खिलाफ आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) एवं भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) द्वारा दर्ज अन्य मामलों में न्यायिक प्रक्रिया अभी जारी है।

डीएमएफ घोटाले में दायर हुई चार्जशीट

EOW और ACB ने हाल ही में डीएमएफ (जिला खनिज न्यास) घोटाले से जुड़े मामले में विशेष अदालत में 6000 पृष्ठों की विस्तृत चार्जशीट दायर की है। इसमें रानू साहू, सौम्या चौरसिया, सूर्यकांत तिवारी सहित कुल 12 लोगों के खिलाफ संगठित भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए गए हैं। जांच में सामने आया है कि इन लोगों ने एक संगठित गिरोह बनाकर टेंडर प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं कीं और भारी कमीशन वसूली की।

क्या है डीएमएफ घोटाला?

डीएमएफ घोटाले की शुरुआत वर्ष 2021-22 में कोरबा जिले से हुई, जब रानू साहू वहां की कलेक्टर थीं। जांच में पता चला कि एक निजी NGO और उसके सचिव मनोज द्विवेदी के माध्यम से कई टेंडरों में हेराफेरी की गई। आरोप है कि टेंडर की राशि का 40 प्रतिशत तक कमीशन लिया गया, जिसमें 15–20% तक की हिस्सेदारी अफसरों और नेताओं को दी जाती थी। बिना कमीशन के कोई ठेका पास नहीं होता था।

ईडी की जांच में गंभीर खुलासे

प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच में सामने आया है कि रानू साहू ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए कोरबा में डीएमएफ फंड का दुरुपयोग किया। उनके और राज्य सेवा अधिकारी माया वारियर के गठजोड़ का भी खुलासा हुआ है, जिनकी करीब 23.79 करोड़ रुपए की संपत्ति ईडी ने जब्त की है।

तलाशी में भारी मात्रा में नकदी और दस्तावेज बरामद

जांच के दौरान ईडी और EOW को आरोपियों के ठिकानों से 76.50 लाख रुपये नकद, आठ बैंक खाते और बड़ी संख्या में फर्जी दस्तावेज मिले हैं। साथ ही NGO के माध्यम से हुए टेंडर आवंटन में भी कई गड़बड़ियां उजागर हुई हैं।

वर्तमान स्थिति

रायपुर सेंट्रल जेल में फिलहाल रानू साहू, माया वारियर, मनोज द्विवेदी और अन्य आरोपी न्यायिक अभिरक्षा में हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आने वाले दिनों में इन मामलों में कानूनी प्रक्रिया की दिशा तय होगी।

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