छत्तीसगढ़

भागवत अमर कथा है जिसे भगवान शिव ने माता पार्वती को सुनाया….. सबके किस्मत में नहीं है श्रीमद् भागवत सुनना, माता पार्वती है साक्षात प्रमाण…

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आरंग– धर्म नगरी आरंग में आयोजित श्रीमद्भागवत महापुराण केेे दूसरे दिन कथााा व्यास आचार्य हिमांशुु कृष्ण भारद्वाज ने भगवान शिव और माता पार्वती के बीच अमर कथा के बारे में भागवत भक्तों को कथा का अमृत मान कराते हुए बताया कि भागवत वही अमर कथा है, जिसे भगवान शिव ने माता पार्वती को सुनाया था। कथा सुनना भी सबके भाग्य में नहीं होता है, जब भगवान भोलेनाथ से माता पार्वती ने अमर कथा सुनाने की प्रार्थना की तो बाबा भोलेनाथ ने कहा कि जाओ पहले यह देखकर आओ की कैलाश पर तुम्हारे या मेरे अलावा कोई और तो नहीं है। क्योंकि, यह कथा सबके नसीब में नहीं होती है। माता ने पूरे कैलाश पर नजर दौड़ाई, लेकिन उनकी नजर शुक के अपरिपक्व अंडों पर नहीं पड़ी। भगवान शंकर ने पार्वती को जो अमर कथा सुनाई वह भागवत कथा ही थी। लेकिन, कथा के बीच ही माता पार्वती को नींद आ गई और शुक ने पूरी कथा सुन ली। भागवत कथा सुनने हजारों की संख्या में पहुंचे भक्तों को महाराज श्री ने अपने मधुर कंठ से अमृत रूपी कथा का रसपान कराते हुए आगे बताया कि पूर्व जन्मों के पाप का ही प्रभाव होता है कि कथा बीच में छूट जाती है। भगवान की कथा मन से नहीं सुनने से जीवन में धार्मिकता नहीं आ पाती। कथा सुनने से चित्त पिघलता है और पिघला चित ही भगवान को अपने में बसा सकता है। शुक देव महाराज की कथा सुनाते हुए महाराज ने बताया कि श्री शुक देव द्वारा चुपके से अमर कथा सुन लेने के कारण जब भोले बाबा शंकर ने उन्हें मारने के लिए दौड़ाया तो वह एक ब्राह्मणी के गर्भ में छुप गए। कई वर्षों बाद व्यास के निवेदन पर भगवान शंकर इस पुत्र के ज्ञानवान होने का वरदान देकर चले गए। और वही शुकदेव के माध्यम से आज श्रीमद् भागवत महापुराण आप तक पहुंच चुका है। उत्तरा के गर्भ में हुआ भक्त और भगवान का मिलन..

श्रीमद्भागवत के अनुसार महाभारत के युद्ध के बाद जब अश्वत्थामा ने सोए हुए द्रौपदी के पुत्रों का वध किया था, तब उसका प्रतिशोध लेने के लिए श्रीकृष्ण व पांडव अश्वत्थामा के पीछे गए। पांडवों का विनाश करने के लिए अश्वत्थामा ने ब्रह्मास्त्र छोड़ा, लेकिन भगवान श्रीकृष्ण की कृपा से पांडव जीवित रहे। तब अश्वत्थामा ने पांडवों के वंश का नाश करने के लिए अपने ब्रह्मास्त्र की दिशा अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ की ओर कर दी, जिससे उत्तरा के गर्भ में पल रहे शिशु को प्राणों का भय हो गया। तब श्रीकृष्ण ने पाण्डवों के वंश को विनाश से बचाने के लिए सूक्ष्म रूप धारण किया तथा उत्तरा के गर्भ में जाकर ब्रह्मास्त्र के तेज से उस बालक की रक्षा की। इस तरह भगवान श्रीकृष्ण ने उत्तरा के गर्भ में पल रहे अभिमन्यु के पुत्र परीक्षित के प्राणों की रक्षा की तथा पाण्डवों के वंश का नाश होने से बचाया। श्रीमद्भागवत महापुराण के कथा के श्रवण पान करने के दौरान बीच-बीच में भगवान के संगीतमय भजनो के दौरान कथा स्थल पर मौजूद हजारों की संख्या में भक्त भगवान की भक्ति में भाव विभोर होकर झूमते नाचते नजर आए। श्रीमद् भागवत कथा के दौरान मुख्य रूप से आजश्री अनिल रूद्र नंद जी महाराज बगुला मुखी मंदिर पड़ाभाट, रूपनारायण सिन्हा जी पूर्व विभाग प्रचारक पूर्व संभाग संगठन मंत्री बिलासपुर गोपाल टावर ईजी पूर्व महानगर कार्यवाहक सुशील पारीक जी नगर संघचालक धीरेंद्र नशीने जी प्रांत संपर्क प्रमुख, नवीन मार्कंडेय जी पूर्व विधायक आरंग, संजय ढीढी जी पूर्व विधायक आरंग, श्याम नारंग जी महामंत्री, सुरेश शर्मा जी उद्योगपति, राजू गांधी जी, गुलाब टिकरिया, सेवनलाल चंद्राकर महासमुंद, महेश नायक जी, डोमार धुरंधर के साथ हजारों की संख्या में भक्तगण मौजूद रहे।