जल शक्ति मंत्रालय का ट्विटर हैंडल हैक,जांच में जुटी एजेंसियां

नई दिल्ली 1 दिसंबर 2022: केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय का ट्विटर हैंडल गुरुवार सुबह हैक हो गया। इसके बाद से ही सिक्योरिटी एजेंसी और साइबर एक्सपर्ट जांच में जुट गए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अब अकाउंट को रिस्टोर कर लिया गया है। पिछले हफ्ते दिल्ली AIIMS का सर्वर हैक होने के बाद किसी सरकारी साइट पर यह दूसरा बड़ा साइबर अटैक है।
एक के बाद एक ट्वीट किए
मंत्रालय के ट्विटर हैंड से मंगलवार सुबह 5:38 बजे क्रिप्टो वॉलेट सुई वॉलेट को बढ़ावा देने वाला एक ट्वीट किया गया। सुई का लोगो और नाम दिखाने के लिए कवर फोटो के साथ अकाउंट की प्रोफाइल फोटो को तिरंगे से सुई के लोगो में भी बदल दिया गया था। ट्वीट में कई अज्ञात खातों को भी टैग किया गया था। हालांकि, कुछ समय बाद अकाउंट को रिस्टोर कर लिया गया और सारे ट्वीट डिलीट कर दिए गए। सुरक्षा एजेंसियां और साइबर एक्सपर्ट इस घटना की जांच कर रहे हैं।
दिल्ली AIIMS के सर्वर पर साइबर अटैक
9 दिन पहले 23 नवंबर को दिल्ली AIIMS के सर्वर पर साइबर अटैक हुआ था। इस दौरान हैकर्स ने क्रिप्टोकरेंसी में कथित तौर पर 200 करोड़ रुपए की मांग की, हालांकि दिल्ली पुलिस ने किसी भी फिरौती से इनकार कर दिया। इसके बाद जबरन वसूली और साइबर टेररिज्म का मामला दर्ज किया गया। फिलहाल, इंडिया कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (CERT-IN), दिल्ली पुलिस और गृह मंत्रालय के प्रतिनिधि घटना की जांच कर रहे हैं। अभी तक हैकिंग के सोर्स का पता नहीं चला है।
देश में हर महीने 3 लाख साइबर अटैक…
इंडसफेस की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हर महीने हेल्थकेयर सेक्टर पर लगभग 3 लाख साइबर हमले होते हैं। ये दुनियाभर में दूसरे सबसे अधिक साइबर हमले हैं। अमेरिकी हेल्थ सेक्टर पर हर माह लगभग पांच लाख साइबर अटैक होते हैं।
2021 में ज्यादा मामले मिले
2020 में कम से कम 130 अलग-अलग रैनसमवेयर एक्टिव थे और 2021 की पहली छमाही में मालवेयर के 30,000 ग्रुप मिले थे। जो समान रूप से दिखते और संचालित होते थे। इनमें से 100 रैनसमवेयर ऐसे हैं जिनकी एक्टिविटी कभी नहीं रुकती है। हमलावर अपने रैनसमवेयर को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने के लिए जाने-माने बॉटनेट मालवेयर और अन्य रिमोट एक्सेस ट्रोजन (RAT) सहित कई तरीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं।
ज्यादातर मामलों में ये नए रैनसमवेयर सैंपल का इस्तेमाल करते हैं। हालांकि गूगल का कहना है कि उसके गूगल क्रोम ओएस क्लाउड-फर्स्ट प्लेटफॉर्म पर किसी भी प्रोफेशन, एजुकेशन या कस्टमर की क्रोम ओएस डिवाइस पर रैनसमवेयर हमले नहीं हुए हैं।