H-1B वीजा सिस्टम बदला: अब काबिलियत और वेतन तय करेंगे किसे मिलेगा मौका

नई दिल्ली : अमेरिका में काम करने का सपना देख रहे लाखों विदेशी प्रोफेशनल्स के लिए H-1B वीजा को लेकर बड़ा बदलाव होने जा रहा है। दशकों से चले आ रहे रैंडम लॉटरी सिस्टम को खत्म करते हुए अमेरिका अब वेज-वेटेड सेलेक्शन सिस्टम लागू करने जा रहा है। इस नई व्यवस्था में ज्यादा सैलरी और हाई-स्किल वाले उम्मीदवारों को प्राथमिकता दी जाएगी।
अमेरिकी डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी (DHS) ने स्पष्ट किया है कि अब H-1B वीजा किस्मत नहीं, बल्कि काबिलियत और वेतन के आधार पर दिया जाएगा। यह बदलाव ट्रंप प्रशासन की उन नीतियों का हिस्सा है, जिनका उद्देश्य अमेरिकी जॉब मार्केट को कम वेतन वाले विदेशी श्रमिकों से बचाना बताया जा रहा है।
यूएस सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज (USCIS) के प्रवक्ता मैथ्यू ट्रैगेसर के अनुसार, मौजूदा लॉटरी सिस्टम का कई नियोक्ताओं ने दुरुपयोग किया। आरोप है कि कुछ कंपनियां अमेरिकी कर्मचारियों की जगह कम वेतन पर विदेशी वर्कर्स लाने के लिए H-1B वीजा का इस्तेमाल कर रही थीं।
नए नियमों के तहत H-1B वीजा के लिए वेटेड सेलेक्शन प्रोसेस अपनाया जाएगा, जिसमें ज्यादा वेतन वाली और हाई-स्किल जॉब्स को ज्यादा मौके मिलेंगे। इसका सीधा फायदा सीनियर लेवल, स्पेशलाइज्ड और हाई-पेड प्रोफेशनल्स को मिलेगा। वहीं, एंट्री-लेवल या कम सैलरी वाली नौकरियों के लिए वीजा हासिल करना और मुश्किल हो सकता है। यह नया नियम 27 फरवरी 2026 से लागू होगा और आने वाले H-1B कैप रजिस्ट्रेशन सीजन पर असर डालेगा।
इससे पहले ट्रंप प्रशासन ने H-1B वीजा पर सालाना 1 लाख डॉलर की अतिरिक्त फीस लगाने का ऐलान किया था, जिसे लेकर कानूनी चुनौतियां भी सामने आई हैं। इसके अलावा, 10 लाख डॉलर की ‘गोल्ड कार्ड’ वीजा स्कीम भी पेश की गई है, जिसके जरिए अमीर निवेशकों को अमेरिकी नागरिकता का रास्ता देने की योजना है। सरकार का कहना है कि ये सभी कदम मेरिट-बेस्ड इमिग्रेशन को बढ़ावा देने के लिए उठाए गए हैं।
समर्थकों का मानना है कि H-1B प्रोग्राम हेल्थकेयर, एजुकेशन और टेक्नोलॉजी जैसे सेक्टर्स में टैलेंट की कमी को पूरा करता है और अमेरिका की इनोवेशन क्षमता बढ़ाता है। वहीं, आलोचकों का कहना है कि इस वीजा का इस्तेमाल अक्सर जूनियर रोल्स के लिए किया जाता है, जिससे अमेरिकी कर्मचारियों की नौकरियों और वेतन पर दबाव पड़ता है।



