कैबिनेट बैठक में आपातकाल के विरोध में प्रस्ताव पारित, संविधान हत्या दिवस पर मौन रखकर दी श्रद्धांजलि

नई दिल्ली। 25 जून 1975 को लगाए गए आपातकाल की 50वीं बरसी के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में तीन महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किए गए। इनमें से एक प्रस्ताव में आपातकाल की कड़ी निंदा की गई और इसे “लोकतंत्र और संविधान की हत्या” बताया गया।
आपातकाल के विरोध में पारित प्रस्ताव
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि बैठक में पारित प्रमुख प्रस्ताव में 1975 में लगाए गए आपातकाल को लोकतंत्र का काला अध्याय करार देते हुए इसकी तीव्र निंदा की गई। इस प्रस्ताव में कहा गया कि आपातकाल के दौरान नागरिक अधिकारों का दमन हुआ और संवैधानिक मूल्यों की अवहेलना की गई।
प्रधानमंत्री मोदी और सभी मंत्रियों ने लोकतंत्र की रक्षा में बलिदान देने वाले वीर सेनानियों को श्रद्धांजलि अर्पित की और दो मिनट का मौन रखा।
प्रस्ताव में देश के युवाओं से अपील की गई कि वे आपातकाल के दौर से सीख लें और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा में अपना योगदान दें। कैबिनेट ने यह भी कहा कि भारत लोकतंत्र की जननी है और संविधान की रक्षा देश की सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।
भारतीय अंतरिक्ष मिशन का अभिनंदन
कैबिनेट द्वारा पारित दूसरे प्रस्ताव में भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला सहित Axiom-4 मिशन के सभी प्रतिभागियों को बधाई दी गई। शुक्ला, हंगरी, पोलैंड और अमेरिका के तीन अन्य अंतरिक्ष यात्रियों के साथ स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट से अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए रवाना हुए हैं।
राजनीतिक प्रतिक्रिया: विपक्ष का सरकार पर हमला
वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सरकार की इस पहल को “राजनीतिक नौटंकी” करार देते हुए कहा कि “वास्तविक आपातकाल तो अब है।” उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार में मीडिया स्वतंत्र नहीं है और चुनाव आयोग सरकार की कठपुतली बन गया है। खरगे ने यह भी कहा कि भाजपा के वैचारिक पूर्वजों का आजादी के आंदोलन और संविधान निर्माण में कोई योगदान नहीं रहा, इसके बावजूद वे आज संविधान रक्षा की बात कर रहे हैं।