पैरोल पर छोड़े गए 70 कैदी अब भी लापता, हाईकोर्ट ने मांगी रिपोर्ट; कोविड काल में छोड़े गए बंदी नहीं लौटे, गंभीर अपराधों में थे शामिल

रायपुर। कोरोना महामारी के दौरान जेलों में भीड़ कम करने के उद्देश्य से पैरोल और अंतरिम जमानत पर छोड़े गए कई कैदी अब तक जेल नहीं लौटे हैं। छत्तीसगढ़ की पांच केंद्रीय जेलों से पैरोल पर छोड़े गए 83 बंदियों में से 70 अब भी फरार हैं। इस गंभीर स्थिति को देखते हुए हाईकोर्ट ने डीजी जेल से शपथ-पत्र के जरिए विस्तृत रिपोर्ट तलब की है।
जेल प्रशासन की रिपोर्ट के मुताबिक, रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, अंबिकापुर और जगदलपुर की केंद्रीय जेलों से छोड़े गए कुल 83 बंदियों में से केवल 10 को पुलिस दोबारा गिरफ्तार कर सकी है, जबकि 3 की मृत्यु हो चुकी है। शेष 70 कैदियों का कोई अता-पता नहीं है। इनमें से कई गंभीर आपराधिक मामलों में सजा काट रहे थे, जिनमें हत्या, लूट और अन्य जघन्य अपराध शामिल हैं।
बिलासपुर सेंट्रल जेल से सर्वाधिक 22 बंदी और रायपुर जेल से 7 बंदी लापता हैं। जेल प्रशासन के अनुसार, परिजनों को बार-बार सूचित किए जाने के बावजूद कैदियों की वापसी नहीं हो सकी। इसके बाद संबंधित थानों में FIR दर्ज कराई गई है और पुलिस को उनकी तलाश में लगाया गया है।
रिपोर्ट में एक चौंकाने वाला तथ्य यह भी सामने आया है कि एक बंदी दिसंबर 2002 से पैरोल पर जाने के बाद से अब तक लापता है। बीते दो दशकों में प्रशासन की तमाम कोशिशों के बावजूद उसका कोई सुराग नहीं लग पाया है।
जेल प्रशासन ने यह भी माना है कि राज्य की अन्य 12 जिला और 16 उप जेलों से भी कई बंदियों को अंतरिम जमानत पर छोड़ा गया था, लेकिन इनकी संख्या और वर्तमान स्थिति को लेकर विभाग के पास स्पष्ट जानकारी नहीं है। सूत्रों का कहना है कि इनमें से कई बंदियों ने कोर्ट से स्थायी जमानत प्राप्त कर ली है, जिससे वे तकनीकी रूप से ‘फरार’ नहीं माने जा सकते। बावजूद इसके, रिकॉर्ड की पारदर्शिता पर सवाल उठ रहे हैं।
यह मामला अब कानून-व्यवस्था की दृष्टि से गंभीर चिंता का विषय बन गया है, खासकर तब जब फरार बंदियों में अधिकांश पर संगीन आरोप थे। हाईकोर्ट के निर्देश के बाद अब पुलिस और जेल प्रशासन पर इनकी खोजबीन का दबाव और बढ़ गया है।