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रायपुर 14 नवम्बर 2022: छत्तीसगढ़ में देश के कुल डायबिटीज रोगियों का तीन प्रतिशत से अधिक है। आने वाले दिनों में छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में टाइप वन डायबिटीज पेशेंट की संख्या में और अधिक इजाफा हो सकता है। रिसर्च सोसायटी फॉर द स्टडी अॉफ डायबिटीज इन इंडिया (आरएसएसडीआई) छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष डॉ. जवाहर अग्रवाल के मुताबिक हमारे राज्य में टाइप वन डायबिटीज मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है। टाइप वन डायबिटीज में मरीज को इंसुलिन की जरूरत पड़ती है।
डॉ. जवाहर अग्रवाल बताते हैं कि पूरे देश में 2021 के आंकलन के वक्त 8 करोड़ से अधिक मधुमेह मरीज मिले। इनमें से करीब 30 लाख मरीज छत्तीसगढ़ में हैं। टाइप वन मरीजों की संख्या भी अब 12 हजार से अधिक हो चुकी है। इनमें भी 200 से ज्यादा मरीज बच्चे हैं। दरअसल, देश और प्रदेश के विशेषज्ञ डॉक्टरों की संस्था आरएसएसडीआई पूरे देश में डायबिटीज और इससे जुड़े तमाम पहलुओं पर व्यापक रूप से रिसर्च और स्टडी करती है। छत्तीसगढ़ के परिप्रेक्ष्य में की गई रिसर्च और स्टडी में ये बात उभरकर सामने आई हैं।
कोविड के बाद नई तरह की डायबिटीज के मामले भी
डॉ. जवाहर अग्रवाल बताते हैं कि डायबिटीज की बीमारी अलग-अलग लोगों में अलग -अलग तरह से हो सकती है। डायबिटीज स्थायी और अस्थायी दोनों तरह की हो सकती है। इसलिए कोविड के बाद डायबिटीज के स्वरूप में भी अब बदलाव देखा जा रहा है। जिसकी फिलहाल गहराई से स्टडी की जा रही है। ऐसे पोस्ट कोविड मरीज जिन्हें कोरोना के ट्रीटमेंट में स्टरायड वगैरह दिया गया, उनमें अधिकांश में मधुमेह के अस्थायी तरह के लक्षण देखे गए हैं जो समय पर इलाज की वजह से धीरे धीरे ठीक भी हो गए हैं। वहीं स्ट्रेस यानी तनाव की वजह से कोविड में डायबिटीज की जद में आने वाले 25 से अधिक मरीज स्थायी तौर पर मधुमेह रोगी बन गए हैं।
आज लाइफ वर्थ हॉस्पिटल समता कॉलोनी में फ्री चैकअप
राजधानी रायपुर की समता कॉलोनी में स्थित लाईफवर्थ हॉस्पिटल में आज सुबह 11 बजे से दोपहर 2 बजे तक मधुमेह का फ्री जांच शिविर लगाया गया है। इसमें ब्लड शुगर जांच, पैरों की नसों की जांच, एचबीए1सी जांच, आंखों की नसों की जांच, बोन मेरो डेंसिटी जांच भी निशुल्क होगी। साथ ही डायबिटीज बीमारी पर लोगों को जागरूक भी किया जाएगा। इस हेल्थ कैंप में डॉ. जवाहर अग्रवाल और डॉ. अरुण कुमार केडिया मार्गदर्शन देंगे।
समय पर जांच व सही इलाज जरूरी
डॉ. अग्रवाल कहते हैं कि अधिकांश लोगों में इस बीमारी को लेकर जागरूकता की कमी है। अक्सर लोग मधुमेह की बीमारी होने पर नीम हकीम इलाजों के चक्कर में पड़ जाते हैं। इससे बीमारी और अधिक खतरनाक होने लगती है। इसलिए सबसे जरूरी है कि डायबिटीज की बीमारी की समय पर जांच करवाई जाए। अगर बीमारी जल्दी पहचान ली जाए तो मरीज के मधुमेह मुक्त होने के चांस भी बढ़ जाते हैं।
जो लोग समय पर जांच करवाकर विशेषज्ञ डॉक्टरों से इलाज करवाना शुरू कर देते हैं, उनमें देखा गया है कि कुछ एक साल बाद उनकी बीमारी पूरी तरह ठीक भी हो जाती है। नियमित व्यायाम, खान पान के तरीकों में बदलाव, स्वस्थ जीवन शैली से मधुमेह को नियंत्रित करने के साथ हराया भी जा सकता है।