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पाकिस्तान ने भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के गिलगित-बल्तिस्तान के बारे में दिए गए बयान पर सख़्त प्रतिक्रिया दी है. राजनाथ सिंह 27 अक्टूबर को भारत प्रशासित कश्मीर में ‘शौर्य दिवस’ के अवसर पर सेना के ज़रिए आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्य अतिथि थे. 27 अक्टूबर 1947 को भारतीय सेना श्रीनगर पहुंची थी और उसने पाकिस्तानी क़बायलियों के हमले को नाकाम कर दिया था.
भारत इस दिन को शौर्य दिवस के तौर पर मनाता है जबकि पाकिस्तान इसे ‘काला दिवस’ के रूप में मनाता है. इस अवसर पर राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान पर जमकर हमला किया था. राजनाथ सिंह ने कहा कि कश्मीर और लद्दाख़ प्रगति के रास्ते पर है. उन्होंने इसी क्रम में पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर का ज़िक्र किया.
उन्होंने कहा, “अभी तो हमने उत्तर दिशा की ओर चलना शुरू किया है. हमारी यात्रा तब पूरी होगी जब हम 22 फ़रवरी 1994 को भारतीय संसद में पारित प्रस्ताव को अमल में लाएंगे और उसके अनुरूप हम अपने बाक़ी बचे हिस्से जैसे गिलगित-बल्तिस्तान तक पहुंचेंगे.”
राजनाथ सिंह ने कहा कि आचार्य शंकर से लेकर आज़ाद भारत के प्रथम गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने राष्ट्रीय एकता का जो सपना देखा था वो तभी जाकर पूरा होगा.
राजनाथ सिंह ने कहा था, “हमारी यात्रा तो तब पूरी होगी जब 1947 के रिफ्यूजियों को न्याय मिलेगा. जब उनके पूर्वजों की भूमि उन्हें सम्मान के साथ वापस मिल सकेगी. मैं यहां की जनता, और हमारी सेनाओं के पराक्रम के बल पर पूरा आश्वस्त हूं कि वह दिन दूर नहीं जब हमारे यह सभी मैंडेट भी सफलतापूर्वक पूरे होंगे.”
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पाकिस्तान ने कहा उसके हिस्से का कश्मीर पूरी तरह आज़ाद है
पाकिस्तान विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को एक बयान जारी कर राजनाथ सिंह के बयान का जवाब दिया.
पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि भारतीय रक्षा मंत्री का यह कहना कि भारत ने अपने हिस्से वाले कश्मीर में विकास का जो काम शुरू किया है वो तब तक नहीं रुकेगा जब तक यह गिलगित-बल्तिस्तान नहीं पहुंच जाता है, ये बयान बेतुका और हास्यास्पद है.
पाकिस्तान ने कहा कि भारतीय रक्षा मंत्री का बयान पाकिस्तान की ओर भारत के विद्वेष को दर्शाता है.
पाकिस्तान के अनुसार भारत प्रशासित कश्मीर में विकास कार्य तो आंखों का धोखा है और जम्मू-कश्मीर के विवादित होने के ऐतिहासिक सच्चाई को नकारने की एक बचकाना कोशिश है.
पाकिस्तान ने कहा कि उसके हिस्से का कश्मीर पूरी तरह आज़ाद है और पूरी दुनिया को वहां जाने की इजाज़त है.
पाकिस्तान ने आरोप लगाया कि भारत ने अपने हिस्से के कश्मीर पर पिछले 75 वर्षों से बलपूर्वक क़ब्ज़ा कर रखा है और उसे एक विशाल जेल की तरह बना रखा है.
पाकिस्तान ने आरोप लगाया कि भारत अपनी तरफ़ रह रहे कश्मीरियों को आत्म-निर्णय का अधिकार देने के बजाए वो लगातार आज़ाद कश्मीर और गिलगित-बल्तिस्तान पर नज़रें गड़ाए हुए है.
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मंत्री का बयान ग़ैर-ज़िम्मेदाराना है: पाकिस्तानी मीडिया
पाकिस्तान के आधिकारिक बयान के अलावा पाकिस्तानी मीडिया में भी राजनाथ सिंह के बयान का काफ़ी ज़िक्र हो रहा है.
वहां के एक जानेमाने अंग्रेज़ी अख़बार डॉन ने शनिवार को इस पर संपादकीय भी लिखा है.
अख़बार ने लिखा है कि एक ऐसे क्षेत्र में जहां दो परमाणु शक्तियां हैं वहां किसी नेता का इस तरह का भड़काऊ बयान देना बहुत ही ग़ैर-ज़िम्मेदाराना है. अख़बार ने लिखा है कि कश्मीर को लेकर दोनों देशों के बीच दशकों से युद्ध हुए हैं लेकिन यह सब मामले को सुलझाने में नाकाम रहे हैं.
अख़बार लिखता है, “अगर भारत के नेताओं को यह विश्वास है कि गिलगित-बल्तिस्तान या पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर बलपूर्वक वापस लिया जा सकता है तो ऐसा सोचना आले दर्जे की बेवक़ूफ़ी होगी.”
अख़बार लिखता है कि इस तरह कि कोई भी विवेकहीन कोशिश पूरे उप-महाद्वीप के लिए विनाशकारी नतीजे लेकर आएगी.
अख़बार ने लिखा कि लंबे अर्से से चले आ रहे इस मुद्दे को सुलझाने के लिए कई फ़ॉर्मूले सुझाए गए हैं और जनरल मुशर्रफ़ के समय में यह मामला सुलझने के काफ़ी क़रीब आ गया था.
अख़बार का कहना है कि पुराने फ़ॉर्मूले पर बात की जा सकती है और नए फ़ॉर्मूले पर भी बातचीत हो सकती है लेकिन असल सवाल तो नीयत का है.
अख़बार के अनुसार क्या पाकिस्तान के मामले पर सख़्त रवैया रखने वाली बीजेपी कश्मीर के मसले का समाधान चाहती है और इसके लिए कोई फ़ॉर्मूला लेकर सामने आती है. अख़बार लिखता है कि जब तक यह नहीं होता भारतीय नेताओं को इस तरह के बयानों से बचना चाहिए.
राजनाथ सिंह चीन को संदेश देना चाहते हैं: पूर्व राजनयिक अब्दुल बासित
भारत में पाकिस्तान के राजदूत रह चुके पूर्व राजनयिक अब्दुल बासित ने भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है.
अब्दुल बासित ने कहा कि भारत कश्मीर को अपना आंतरिक मामला बताता है तो फिर भारत ही बताए कि इसको लेकर सालों से इतनी बार दोनों देशों के बीच आख़िर बातचीत क्यों हुई हैं.
उन्होंने कहा कि राजनाथ सिंह का बयान एक सियासी बयान है और उनके पास इसकी कोई क़ानूनी दलील नहीं है. उनका बयान इस बात का सबूत है कि भारत कश्मीर के मसले का शांतिपूर्वक हल नहीं चाहता है.
अब्दुल बासित ने कहा कि राजनाथ सिंह ने गिलगित-बल्तिस्तान का जो ज़िक्र किया है उसकी ख़ास वजह है.
उन्होंने कहा कि राजनाथ सिंह गिलगित-बल्तिस्तान का नाम लेकर चीन को संदेश देना चाहते हैं.
गिलगित-बल्तिस्तान के ज़रिए ही चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर (सीपेक) पाकिस्तान में दाख़िल होता है.
कश्मीर पर भारत-पाक युद्ध
15 अगस्त, 1947 को भारत विभाजन के बाद पाकिस्तानी क़बायलियों ने 22 अक्टूबर, 1947 कश्मीर पर हमला कर दिया था. कश्मीर उस समय एक स्वतंत्र रियासत थी.
26 अक्तूबर, 1947 को कश्मीर के तत्कालीन राजा हरि सिंह ने भारत के साथ विलय की संधि (इंस्ट्रूमेन्ट ऑफ़ एक्सेशन) पर दस्तख़्त किए थे जिसके बाद 27 अक्टूबर को भारत की सेना श्रीनगर में दाख़िल हुई थी.
भारत और पाकिस्तान के बीच कुछ महीनों तक युद्ध हुआ लेकिन बाद में संयुक्त राष्ट्र के हस्तक्षेप के बाद दोनों देशों के बीच सीज़फ़ायर लागू हो गया था. इसके बाद लाइन ऑफ़ कंट्रोल (एलओसी) शब्द का पहली बार इस्तेमाल किया गया था.
उस समय कश्मीर का जो इलाक़ा जिसके पास था वो आज भी उन्हीं के पास है. भारत अपने हिस्से के कश्मीर को अपना आंतरिक मामला मानता है और पाकिस्तान के हिस्से वाले कश्मीर को वो पीओके (पाकिस्तानी क़ब्ज़े वाला कश्मीर या पीओके) कहता है और उसे भी अपना हिस्सा ही मानता है साथ ही हमेशा उसको वापस लेने की बात करता रहा है.
पाकिस्तान अपने हिस्से वाले कश्मीर को ‘आज़ाद कश्मीर’ कहता है और भारतीय हिस्से को ‘भारतीय क़ब्ज़े वाला कश्मीर’ (आईओजेके) कहता है.