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संसद में वंदे मातरम पर होगा मंथन, पीएम मोदी करेंगे चर्चा का नेतृत्व

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नई दिल्ली संसद का शीतकालीन सत्र इन दिनों जारी है और इसी क्रम में आज (08 दिसंबर) राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम पर विस्तृत चर्चा आयोजित की गई है। लोकसभा में इस बहस की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे, जबकि राज्यसभा में चर्चा का नेतृत्व केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा किया जाएगा। चर्चा के लिए कुल 10 घंटे का समय निर्धारित किया गया है।

लोकसभा में वंदे मातरम पर होने वाली बहस दोपहर 12 बजे प्रधानमंत्री के संबोधन के साथ आरंभ होगी। इसमें विपक्ष के उपनेता गौरव गोगोई सहित कुल आठ सांसद अपनी बात रखेंगे। चर्चा का समापन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के वक्तव्य के साथ होने की संभावना है। उल्लेखनीय है कि 7 नवंबर को राष्ट्रीय गीत के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में देशभर में कार्यक्रम आयोजित किए गए थे।

दूसरी ओर, राज्यसभा में वंदे मातरम पर बहस मंगलवार को आयोजित होगी, जिसमें गृह मंत्री अमित शाह अपने संबोधन से प्रक्रिया की शुरुआत करेंगे। इसके अलावा कई राज्यों में चल रहे विशेष मतदाता पुनरीक्षण कार्यक्रम पर भी उच्च सदन में विमर्श प्रस्तावित है।

पीएम मोदी का बयान—1937 में गीत के हिस्से अलग किए गए

हाल ही के एक भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि 1937 में वंदे मातरम के अंशों को अलग कर दिया गया था, जिससे विभाजनकारी सोच को बढ़ावा मिला। उनका कहना था कि राष्ट्रीय चेतना के इस गीत के साथ किया गया यह व्यवहार इतिहास समझने के लिए आज की पीढ़ी के लिए जरूरी है।

मुस्लिम समुदाय की ओर से प्रतिक्रिया

संसद की इस बहस से पहले ऑल इंडिया इमाम एसोसिएशन के अध्यक्ष मौलाना साजिद रशीदी ने स्पष्ट किया कि मुस्लिम समाज को वंदे मातरम से कोई शत्रुता नहीं है। उन्होंने कहा कि शुरुआती दो पंक्तियों को लेकर मुसलमानों को कोई आपत्ति नहीं है, क्योंकि वे मातृभूमि की सुंदरता और समृद्धि का वर्णन करती हैं। आपत्ति आगे की पंक्तियों में दर्शाए गए मूर्ति-पूजन के भाव को लेकर है, जो धार्मिक सिद्धांतों से मेल नहीं खाता।

वंदे मातरम’—इतिहास और महत्व

  • वंदे मातरम का रचना कार्य बंकिम चंद्र चटर्जी ने किया था, जो पहली बार 7 नवंबर 1875 को ‘बंगदर्शन’ पत्रिका में प्रकाशित हुआ।
  • 1882 में इसे उनके उपन्यास ‘आनंदमठ’ में शामिल किया गया।
  • बाद में रवींद्रनाथ टैगोर ने इस गीत को संगीतबद्ध किया, जिसके बाद यह स्वतंत्रता सेनानियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया।
  • 24 जनवरी 1950 को भारत सरकार ने वंदे मातरम को आधिकारिक रूप से राष्ट्रीय गीत घोषित किया था।
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Kailash Jaiswal

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