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हाथी की मौत के मामले ने पकड़ा तूल, प्यादों पर कार्रवाई और डिप्टी रेंजर को फकत स्पष्टीकरण की नोटिस ।

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बलौदाबाजार/कसडोल
उपवन मण्डल कसडोल के अंतर्गत वन परिक्षेत्र देवपुर के वन ग्राम पकरिद में शिकार लगाए बिजली करंट से हाथी मरने का मामला अब तूल पकड़ता नजर आ रहा है, मामले में वनवासीओ ने कहा कि किसानों का धान की फसल को हाथी रौंद कर नष्ट कर रहे है साथ ही हमारा फसल मर गया तब इसकी जानकारी लेने के लिए वन विभाग का कोई भी अधिकारी नही आया था और हाथी मर गया तो पूरा छत्तीसगढ़ वन विभाग के अधिकारी कर्मचारी जनप्रतिनिधि सहित अन्य जानकारी लेने पहुँच रहे हैं। यदि पूर्व में ही फसल क्षति का जायजा लेने यदि वन विभाग के अधिकारी कर्मचारी आये होते तब शायद भय वश शिकारी लोग शिकार के लिए फंदा नही लगाते और हाथी नहीं मरा होता । कहावत है कि सियार के फंदे में शेर फंद गया इसलिए बवाल हो गया अन्यथा हिरण सांभर , जंगली सूअर, या अन्य छोटे मोटे वन्य जीव फंसा होता तो उसे अब तक खा पीकर हजम कर गए होते और किसी को कानोकान खबर भी नही लगता जैसा कि अभी तक होते आया है। उक्त आरोप लगाते हुए तथा आक्रोश जाहिर करते हुए ग्राम पकरीद के सरपंच सदाराम चौहान के साथ उपस्थित ग्रामीणों ने बताया कि गत 4 नवम्बर शुक्रवार की रात को हाथी की मृत्यु शिकार के लिए लगाए गए करंट से हो चुकी थी जिसकी जानकारी ग्रामीणों द्वारा वन विभाग को दो दिन बाद दी गई है इसके एक सप्ताह पूर्व हाथी का झुंड वन ग्राम पकरिद आ कर कई किसानों का फसल चौपट कर गया है जिसकी सूचना वन परिक्षेत्र कार्यालय देवपुर को दिया गया है किंतु रेंज के प्रभार संभाल रहें गैर जिम्मेदार प्रभारी अधिकारी मुआयना करने तक नही पहुँचे अगर अधिकारी दौरा करते और ग्रामीणों की शिकायत पर पहुँचते तो शिकारी लोग पकड़े जाने की भय वश उक्त फंदा को शायद नहीं लगते और न ही हाथी मरा होता । वनवासियों ने मांग किया है कि राजस्व ग्रामो में फसल क्षति का आंकलन राजस्व विभाग के अधिकारी कर्मचारी करते हैं वैसा ही फसल क्षति की जानकारी स्वमेव वन विभाग को लेकर मुआवजा वितरण करना चाहिए। किंतु वन विभाग में आवेदन करने के पश्चात कटौती कर नाम मात्र का मुआवजा दे दिया जाता है इसलिए कई किसान आवेदन ही नही करते । जैसा कि ग्राम पकरीद के सरपंच सदाराम चौहान पिता सुखचंद चौहान उम्र 55 वर्ष ने बताया कि उसके खेत का लगभग 55 कट्टा धान का क्षति हुआ है किंतु नाममात्र का मुआबजा मिलता है इसलिए इन्होंने आवेदन नहीं दिया है वही पूर्व सरपंच हेमसागर चौधरी ने बताया कि उनके लगभग डेढ़ एकड़ की फसल को हाथी चौपट कर गया है जिसकी सूचना वन विभाग को देना बताया है । इसी प्रकार जगदीश चौधरी पिता पितबासो चौधरी का एक एकड़ के फसल तथा भागीरथी पिता राम सिंह चौधरी का लगभग पौन एकड़ के फसल को हाथी द्वारा नुकसान पहुचाया गया है । इसीप्रकार यहाँ के कई किसानों के फसल को नुकसान पहुचाया गया है जिसकी जानकारी लेकर मुआवजा देने की मांग किया है । इस सम्बंध में वसुन्धरा सामाजिक सेवा संस्सथान के अध्यक्ष अनुराग मिश्रा ने कहा कि कसडोल विकासखंण्ड के वन एवं वन्यजीव भगवान भरोसे है क्षेत्र में लगातार शिकार और सागौन तस्करी का सिलसिला जारी है जंगली हाथी की करेंट से चिपक कर मृत्यु से साबित होता है वन क्षेत्र शिकारगाह बनता जा रहा है। लेकिन अभी तक देवपुर के गैर जिम्मेदार प्रभारी परिक्षेत्र अधिकारी को हटाया नही लगाया है, जबकि इससे पूर्व भी कई गंभीर आरोप उक्त अधिकारी के ऊपर लग चुका है लेकिन हमाम में सब जायज की तर्ज पर गैर जिम्मेदार प्रभारी अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई नही की गई है।

जिले के वनमंडल अन्तर्गत विभिन्न रेन्जो में लागतार अवैध शिकार के मामले सामने आ रहे है बावजूद वन विभाग के जिम्मेदार कार्रवाई करने से कतरा रहें है, जिसके कारण लगातार वन ग्रामों में वन्य जीवों का शिकार किया जा रहा है, अचरज की बात तो यह है कि इतने संवेदनशील वन्य जीव की मौत के बाद भी विभाग डीएफओ ने अभी तक सिर्फ प्यादों पर कार्रवाई की है, जबकि डीएफओ प्रभारी डिप्टी रेंजर के ऊपर कार्रवाई कर सकते है लेकिन मुख्य जिम्मेदार अधिकारी को केवल स्पष्टीकरण तक सीमित रखा है । जबकि उक्त प्रभारी अधिकारी को तत्काल सस्पेंड कर विभागीय जांच कराया जाना था जिससे गैर जिम्मेदार अधिकारी के कार्यकाल में हुये भ्रस्टाचार और तमाम वन्य जीवों की शिकार का पर्दा उठ पाता लेकिन अभी तक विभाग ने किसी तरह का कोई ठोस कार्रवाई नही किया है।
जिसके कारण उक्त गैर जिम्मेदार अधिकारी प्रभारी अधिकारी के हौशले बुलंद नजर आ रहे है।
सभी जिम्मेदारों की गतिविधियों की हो जांच
बहुजन सशक्तिकरण के प्रदेश अध्यक्ष मोतीलाल बंजारे ने वन मंत्री मोहम्मद अकबर, पीसीसीएफ संजय शुक्ला एंव सीसीएफ जनक नायक से मांग किया कि हाथी के मौत के दौरान सभी जिम्मेदार अधिकारियों के गतिविधियों की जांच की जाए। कि हाथी के मौत के दौरान जितने भी जिम्मेदार अधिकारी थे वे उस दौरान कहाँ थे कितने बार उन्होंने जंगल का पेट्रोलिंग किया साथ ही इस दौरान कब किसने किससे जंगल की गतिविधियों पर चर्चा किया। इस तमाम जांच में सभी जिम्मेदारों की हकीकत सामने आ सकेगी। जिससे आगामी समय से किसी निर्दोष वन्य जीव की जान ऐसे शिकारियो से बचाया जा सकेगा।