करमा तिहार महोत्सव में शामिल हुए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, आदिवासी संस्कृति संरक्षण पर दिया जोर

रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय मुख्यमंत्री निवास, नवा रायपुर में छत्तीसगढ़ आदिवासी कंवर समाज युवा प्रभाग रायपुर द्वारा आयोजित प्रकृति पर्व भादो एकादशी व्रत – 2025 करमा तिहार कार्यक्रम में शामिल हुए। उन्होंने पारंपरिक पूजा-अर्चना के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ किया और आदिवासी संस्कृति को पूर्वजों की अमूल्य धरोहर बताते हुए इसके संरक्षण एवं संवर्धन पर बल दिया।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि करमा तिहार जैसे पर्व समाज को जोड़ने और बेटियों के कल्याण की कामना के प्रतीक हैं। उन्होंने बताया कि एकादशी करमा तिहार अविवाहित बेटियों का पर्व है, जबकि दशहरा करमा और जियुत पुत्रिका करमा विवाह एवं संतान की दीर्घायु जीवन की मंगलकामना से जुड़े हुए हैं।
साय ने आदिवासी समाज के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान को याद करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ में अंग्रेजों के खिलाफ 12 आदिवासी क्रांतियाँ हुईं। उन्होंने घोषणा की कि नया रायपुर स्थित ट्राइबल म्यूजियम में आदिवासी संस्कृति और महानायकों की झलक को मॉडल के रूप में प्रदर्शित किया जाएगा और राज्य निर्माण की रजत जयंती समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों इसका शुभारंभ होगा।
मुख्यमंत्री ने बताया कि उनकी सरकार आदिवासी समाज के सशक्तिकरण के लिए नई उद्योग नीति, विशेष रियायतें और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की दिशा में ठोस कदम उठा रही है। उन्होंने कहा कि बस्तर एवं सरगुजा क्षेत्रों को विशेष महत्व दिया गया है ताकि युवाओं को स्वरोजगार और बच्चों को उच्च स्तरीय शिक्षा मिल सके।
इस अवसर पर वन मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में आदिवासी संस्कृति को बढ़ावा देने का कार्य निरंतर किया जा रहा है। उन्होंने बस्तर में आयोजित “बस्तर पांडुम ओलंपिक” का उल्लेख करते हुए इसे आदिवासी गौरव का प्रतीक बताया।
कार्यक्रम में अखिल भारतीय कंवर समाज विकास समिति की संरक्षक कौशिल्या साय ने कहा कि करमा तिहार प्रकृति प्रेम का पर्व है और महिलाएँ संस्कृति के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।
इस अवसर पर स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल, महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े, स्कूल शिक्षा मंत्री गजेन्द्र यादव, तकनीकी शिक्षा मंत्री गुरु खुशवंत साहेब, पर्यटन मंत्री राजेश अग्रवाल सहित अनेक जनप्रतिनिधि, पदाधिकारी एवं कंवर समाज के लोग बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।