किसान आंदोलन में जान गंवाने वाले किसानों को न्याय नहीं मिलने से भड़के अन्नदाता, 26 को निकालेंगे राजभवन मार्च

Share this

रायपुर 24 नवम्बर 2022: तीन कृषि कानून के विरोध में दिल्ली की सीमाओं में किसानों का आंदोलन कई महीनों तक चला। जिससे सरकार को इन कानूनों को वापस लेना पड़ा। वहीं उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में भी किसान इन कानूनों का विरोध कर रहे थे। तिकुनिया में पिछले साल 3 अक्टूबर को किसान आंदोलन कर रहे थे। इस दौरान गृहराज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा की गाड़ी किसानों को रौंदते हुए निकल गई।

इस हिंसा में 4 किसानों समेत 8 लोगों की मौत हो गई, लेकिन एक साल से अधिक समय बीतने के बात भी पीड़ित किसानों के परिवार को अभी तक न्याय नहीं मिला है। इससे नाराज छतीसगढ़ के किसान 26 नवंबर को राजभवन मार्च निकालेंगे। वहीं किसान अपने कई मांगों को लेकर रणनीति बना रहे हैं। इसके लिए राष्ट्रीय किसान नेताओं की बैठक 13 दिसंबर को रायपुर में होगी।

संयुक्त किसान मोर्चा दिल्ली के देशव्यापी आह्वान पर छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ से जुड़े संगठनों के मुखियाओं का वर्चुअल बैठक गुरुवार को हुई, जिसमें छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ के संयोजक मंडल सदस्य तेजराम विद्रोही, पारसनाथ साहू, गजेंद्र कोसले, अखिल भारतीय किसान महासंघ के राष्ट्रीय संयोजक डॉ. राजराम त्रिपाठी, छत्तीसगढ़ किसान महासभा के संयोजक नरोत्तम शर्मा, अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा के उपाध्यक्ष मदन लाल साहू, भारतीय किसान यूनियन के छत्तीसगढ़ प्रभारी प्रवीण श्योकंड, कृषक बिरादरी के सदस्य पवन सक्सेना उपस्थित थे।

छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ के संयोजक मंडल सदस्य और अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा के सचिव तेजराम विद्रोही ने बताया कि सभी कृषि उपजों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी, बिजली बिल विधेयक 2020 को वापस लेने, लखीमपुर खीरी में किसानों की हत्या के लिए जिम्मेदार मंत्री की बर्खास्तगी और गिरफ्तारी, दिल्ली किसान आंदोलन में शहीद किसान परिवारों को सम्मानजनक मुआवजे आदि की मांग को लेकर छत्तीसगढ़ में 26 नवम्बर को दोपहर 1 बजे राज्यपाल को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपने का निर्णय लिया गया है।

साथ ही आगामी 13 दिसंबर को राष्ट्रीय किसान नेताओं की छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में सभी फसलों और सभी किसानों को एमएसपी अधिकार सुनिश्चित हो इस संदर्भ में बैठक आयोजित की जाएगी जिसमें छत्तीसगढ़ के सभी किसान संगठनों के प्रतिनिधि, बुद्धिजीवी और समर्थक शामिल होंगे।