छत्तीसगढ़ में अवैध प्लाटिंग पर नकेल कसने नया कानून: किसानों को मिलेगा अधिकार और लाभ, बिल्डरों की मनमानी पर लगेगी लगाम

रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य में बढ़ती अवैध प्लाटिंग और भू-माफियाओं की मनमानी पर अंकुश लगाने के लिए नया और सख्त कानून लागू करने की तैयारी कर ली है। “छत्तीसगढ़ किफायती जन आवास नियम 2025” के तहत राज्यभर में प्लाटिंग से जुड़ी प्रक्रियाओं और शर्तों में व्यापक बदलाव किया गया है। इन बदलावों का उद्देश्य न केवल अवैध प्लाटिंग को रोकना है, बल्कि किसानों को भी उनकी जमीन की बिक्री के बाद उचित लाभ सुनिश्चित करना है।
बिल्डरों की मनमानी पर सख्ती
अब कोई भी बिल्डर कृषि भूमि खरीदकर बिना अनुमति के प्लॉट नहीं काट सकेगा। नए नियम के अनुसार प्लाटिंग की अनुमति केवल दो एकड़ या उससे अधिक भूमि पर ही दी जाएगी। इसके अलावा बिल्डर को प्लॉटिंग से पहले ही अपना पूरा ले-आउट प्लान विभाग को प्रस्तुत करना होगा, जिसमें सड़क, गार्डन, कमर्शियल कॉम्प्लेक्स आदि के स्थान स्पष्ट रूप से दर्शाए जाने होंगे। प्लाटिंग क्षेत्र को बाउंड्री वॉल से घेरकर बोर्ड लगाना भी अनिवार्य कर दिया गया है।
किसानों को मिलेगा अधिकार और लाभ
नए कानून के सबसे अहम प्रावधानों में से एक है—किसानों की भागीदारी। अब अगर कोई बिल्डर कृषि भूमि खरीदता है, तो प्रोजेक्ट शुरू करने से पहले उसे उस भूमि के मूल स्वामी किसान की सहमति लेनी होगी। सहमति के बिना कॉलोनी या प्रोजेक्ट स्वीकृत नहीं किया जाएगा। इससे किसान परोक्ष रूप से पार्टनर बना रहेगा और आगे होने वाले लाभ का भी हिस्सा बन सकेगा।
दावा-आपत्ति और सुझाव का आज अंतिम दिन
राज्य के टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग ने इस संबंध में दो सप्ताह पूर्व अधिसूचना जारी की थी। रायपुर समेत सभी जिलों से दावा-आपत्ति और सुझाव आमंत्रित किए गए थे। मंगलवार को रायपुर जिले के लिए यह प्रक्रिया पूरी हो रही है। अधिकारियों के अनुसार प्राप्त सुझावों और आपत्तियों की समीक्षा कर शासन स्तर पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
राजस्व में होगी बढ़ोतरी
प्लाटिंग से पहले कलेक्टर गाइडलाइन के अनुसार निर्धारित शुल्क चुकाना अनिवार्य कर दिया गया है, जिससे सरकार का राजस्व भी बढ़ेगा। अवैध रूप से कृषि भूमि को रिहायशी क्षेत्र में बदलने की प्रवृत्ति पर अब पूर्ण विराम लगने की उम्मीद है।
रायपुर टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के उप संचालक विनीत नायर ने बताया, “नए नियम किसानों के हित में हैं। पहले किसान जमीन बेचकर बाहर हो जाते थे, लेकिन अब वे उस जमीन के विकास कार्यों में भागीदार रहेंगे। इससे उन्हें आर्थिक लाभ भी होगा और पारदर्शिता भी बढ़ेगी।”
छत्तीसगढ़ सरकार के यह कदम न केवल अवैध प्लाटिंग पर रोक लगाएगा, बल्कि किसानों को सशक्त बनाकर उन्हें भूमि बिक्री के बाद भी अधिकार और मुनाफा दिलाएगा।