SC सख्त, प्राकृतिक आपदाओं पर केंद्र-राज्यों को भेजा नोटिस

नई दिल्ली | हिमालयी इलाकों में लगातार हो रहे भूस्खलन और बाढ़ के खतरे को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर रुख अपनाया है। अदालत ने गुरुवार को इस मामले पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार और चार राज्यों को नोटिस जारी किया है।
मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने कहा कि पहाड़ी क्षेत्रों में हो रहे हादसे सिर्फ प्राकृतिक आपदाएं नहीं हैं बल्कि इनमें मानवीय गतिविधियों का भी बड़ा हाथ नजर आ रहा है। अदालत ने केंद्र के पर्यावरण एवं जल शक्ति मंत्रालय, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया तथा हिमाचल प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर की सरकारों से विस्तृत जवाब मांगा है।
पीठ ने मीडिया रिपोर्टों का हवाला देते हुए कहा कि हाल की घटनाओं में बड़े पैमाने पर लकड़ी के लट्ठे बाढ़ में बहते हुए दिखाई दिए। इससे यह स्पष्ट होता है कि पहाड़ियों पर अवैध कटाई की जा रही है, जो आपदाओं को और भी भयावह बना रही है।
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को आश्वस्त किया कि वे तुरंत पर्यावरण मंत्रालय और संबंधित राज्यों के मुख्य सचिवों से बात करेंगे ताकि आपदा से निपटने के लिए ठोस कदम उठाए जा सकें।
याचिकाकर्ता की ओर से यह भी बताया गया कि चंडीगढ़ से मनाली तक बनी कई सुरंगें बरसात के समय यात्रियों के लिए मौत का जाल बन जाती हैं। हाल ही में एक सुरंग में करीब 300 लोग भूस्खलन की वजह से फंस गए थे।