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रिलायंस फाउंडेशन की फाउंडर और चेयरपर्सन नीता अंबानी की मदद से अमेरिका का प्रतिष्ठित मेट संग्रहालय भारतीय इतिहास पर प्रदर्शनी लगाने जा रहा है। ‘ट्री एंड सर्पेंट नाम की यह प्रदर्शनी 21 जुलाई से आरंभ होगी।
भारत में प्रारंभिक बौद्ध काल के शुरूआती वर्षों से लेकर 600 साल तक का शानदार सफ़र इस प्रदर्शनी में दिखाया जाएगा। प्रदर्शनी में ईसा से 200 वर्ष पूर्व से ईसा के 400 वर्ष बाद तक का भारतीय बौद्ध इतिहास शामिल होगा। रिलायंस इंडस्ट्रीज की मदद से लग रही ‘ट्री एंड सर्पेंट’ प्रदर्शनी का एक विशेष प्रिव्यू प्रोग्रम रखा गया। इसमें नीता अंबानी के अलावा, कला जगत व कई अन्य क्षेत्रों की प्रतिष्ठित हस्तियां शामिल हुईं, जिनमें संयुक्त राज्य अमेरिका में भारतीय राजदूत तरनजीत सिंह संधू, भारत में अमेरिकी राजदूत, एरिक गार्सेटी और ‘ट्री एंड सर्पेंट; के क्यूरेटर, जॉन गॉय शामिल थे।
नीता अंबानी ने खुशी जाहिर करते हुए कहा,*”मैं बुद्ध की धरती, भारत से आती हूँ। रिलायंस इंडस्ट्रीज़ और मेट की पार्टनरशिप को आगे बढ़ाते हुए तथा ‘ट्री एंड सर्पेंट’ प्रदर्शनी को प्रस्तुत करते हुए मुझे गर्व की अनुभूति हो रही है। प्रारंभिक बौद्ध काल के 600 वर्षों की 125 से अधिक कलाकृतियाँ इस प्रदर्शनी में देखी जा सकेंगी। बुद्ध की सोच और भारतीय संस्कृति का गहरा संबंध है। बुद्ध के विचार आजतक दुनिया को प्रभावित कर रहे हैं। हमारा प्रयास है कि भारतीय संस्कृति की खूबियों को हम दुनिया तक पहुँचायें और दुनिया का सर्वश्रेष्ठ भारत तक लेकर आएँ।”* नीता अंबानी प्रतिष्ठित ‘द मेट’ संग्रहालय की पहली भारतीय ट्रस्टी हैं।
2019 में उन्हें मेट का ऑनररी ट्रस्टी बनाया गया था। तभी से विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से श्रीमती अंबानी भारत की गौरवशाली कला परंपरा को दुनिया के सामने प्रस्तुत करती रहती हैं।द आर्ट इंस्टिट्यूट ऑफ शिकागो में ‘गेट्स ऑफ द लॉर्ड: द ट्रेडिशन ऑफ कृष्णा’ पेंटिंग्स जैसी प्रस्तुतियों को आगे बढ़ाना हो या फिर ‘द मेट’ में लगने वाली भारतीय कला प्रदर्शनियों की मदद करना। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वैश्विक दर्शकों को भारतीय कला और संस्कृति से रूबरू कराने के लिए भी रिलायंस लगातार प्रयास करता रहता है। रिलायंस ने भारतीय कला और संस्कृति को आगे बढ़ावा देने के लिए हाल ही में ‘नीता मुकेश अंबानी कल्चरल सेंटर’ देश को समर्पित किया था। जिसमें रोजाना 5 से 6 हजार दर्शक विभिन्न कला और कलाकारों का हुनर देखने पहुंच रहे हैं।