122 वर्षों पुरानी परंपरा के साथ भाटापारा में निकली भगवान जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा
नगर पालिका अध्यक्ष अश्वनी शर्मा ने स्वयं रथ खींचा और श्रद्धालुओं के साथ भक्ति एवं सेवा का संगम प्रस्तुत किया

भाटापारा। नगर के ऐतिहासिक लटूरिया मंदिर से भगवान श्री जगन्नाथ, श्री बलभद्र एवं माता सुभद्रा की 122वीं भव्य रथ यात्रा परंपरागत विधि-विधान, आस्था व उल्लास के साथ निकाली गई। चंदन काष्ठ से निर्मित विग्रहों की स्थापना वाले इस मंदिर से हर वर्ष आयोजित होने वाली यह रथ यात्रा नगर की सबसे पुरानी धार्मिक परंपराओं में से एक है।
इस वर्ष 27 जून को मंदिर प्रांगण में भगवान की महाआरती और महाप्रसाद वितरण के उपरांत दोपहर 1 बजे रथ यात्रा का शुभारंभ हुआ। रथ नगर के प्रमुख मार्गों से होता हुआ पुनः मंदिर परिसर में संपन्न हुआ। पूरे मार्ग में श्रद्धालुओं ने भक्ति गीतों और जयघोषों से वातावरण को भक्तिमय बना दिया। सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु इस पावन अवसर पर शामिल हुए और रथ खींचकर पुण्य लाभ अर्जित किया।
नगर पालिका अध्यक्ष अश्वनी शर्मा ने स्वयं रथ खींचा और श्रद्धालुओं के साथ भक्ति एवं सेवा का संगम प्रस्तुत किया। उन्होंने आयोजन समिति की प्रशंसा करते हुए कहा कि –
“भगवान श्री जगन्नाथ जी की रथ यात्रा केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि आस्था, सेवा और समर्पण का प्रतीक है। यह 122 वर्षों पुरानी परंपरा भाटापारा नगर की सांस्कृतिक पहचान बन चुकी है। रथ खींचने का सौभाग्य प्राप्त कर अत्यंत आनंद और श्रद्धा की अनुभूति हुई। मैं आयोजन समिति और समस्त श्रद्धालुओं का धन्यवाद करता हूँ, जिन्होंने इस भव्य आयोजन को सफल बनाया।”
इस अवसर पर नगर के जनप्रतिनिधि, सामाजिक संगठनों के पदाधिकारी, पुजारी जगदीश वैष्णव सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालुगण उपस्थित रहे। संपूर्ण आयोजन शांतिपूर्ण और भक्तिमय वातावरण में संपन्न हुआ।
विशेष आकर्षण:
- भगवान के रथ को भव्य पुष्पों और रंगीन पताकाओं से सजाया गया था।
- मार्ग में विभिन्न स्थानों पर स्वागत मंच, भजन संध्या और जल सेवा की व्यवस्था की गई थी।
- सुरक्षा व्यवस्था हेतु पुलिस बल और वालंटियर्स की तैनाती रही।
विशेष तथ्य:
- यह रथ यात्रा वर्ष 1902 से निरंतर आयोजित की जा रही है।
- लटूरिया मंदिर भाटापारा नगर की आध्यात्मिक धरोहरों में अग्रणी स्थान रखता है।
यह आयोजन भाटापारा की सामाजिक समरसता, धार्मिक श्रद्धा और सांस्कृतिक चेतना का जीवंत उदाहरण बनकर सामने आया।