आसमान में दिखी इतिहास की उड़ान, राष्ट्रपति मुर्मू ने संभाला राफेल का कॉकपिट

नई दिल्ली : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शनिवार को भारतीय वायुसेना के अंबाला एयरबेस से फ्रांस निर्मित राफेल लड़ाकू विमान में ऐतिहासिक उड़ान भरकर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया। यह पहली बार है जब किसी भारतीय राष्ट्रपति ने राफेल जेट में उड़ान भरी हो। इस अवसर पर आयोजित विशेष समारोह में राष्ट्रपति मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहीं और उन्होंने भारतीय वायुसेना की युद्धक शक्ति और आधुनिक तकनीकी क्षमताओं का प्रत्यक्ष अनुभव किया।
इस ऐतिहासिक क्षण के लिए अंबाला में सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए गए थे। उपायुक्त अजय सिंह तोमर ने बताया कि राष्ट्रपति मुर्मू विशेष विमान से दिल्ली से सीधे अंबाला पहुंचीं। एयरफोर्स और प्रशासन की टीमों ने कार्यक्रम की तैयारियां कई दिनों पहले पूरी कर ली थीं। सुरक्षा कारणों से एयरबेस के आसपास के क्षेत्र में ड्रोन उड़ाने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया था, जबकि परिसर के अंदर मोबाइल फोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण ले जाने की अनुमति नहीं थी। केवल अधिकृत व्यक्तियों को ही प्रवेश दिया गया।
राफेल विमान भारतीय वायुसेना की ताकत का अहम हिस्सा हैं। फ्रांस से खरीदे गए इन विमानों की पहली खेप 27 जुलाई 2020 को भारत पहुंची थी। उस समय पांच राफेल विमानों को मेरिग्नैक एयरबेस (फ्रांस) से उड़ान भरने के बाद संयुक्त अरब अमीरात के अल दफरा एयरबेस पर ठहराव के साथ अंबाला एयरबेस लाया गया था।
10 सितंबर 2020 को इन्हीं विमानों को अंबाला में भारतीय वायुसेना की 17वीं स्क्वॉड्रन “गोल्डन एरोज़” में औपचारिक रूप से शामिल किया गया था। उस समारोह में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और फ्रांस की तत्कालीन रक्षा मंत्री फ्लोरेंस पार्ली भी उपस्थित थीं। दिलचस्प बात यह है कि राष्ट्रपति मुर्मू से पहले राजनाथ सिंह भी राफेल में उड़ान भर चुके हैं।
राष्ट्रपति की यह उड़ान न केवल एक प्रतीकात्मक उपलब्धि है, बल्कि यह भारत की रक्षा शक्ति, आत्मनिर्भरता और महिलाओं की नेतृत्व भूमिका को भी नई ऊँचाइयाँ प्रदान करती है।



