दिल्ली वर्ल्ड पब्लिक सीनियर सेकेंडरी स्कूल, खमरिया भाटापारा में गुरु सम्मान-3.0 : शिक्षण साधना का अनुपम महोत्सव, ज्ञानदीप से आलोकित हुआ परिसर

खमरिया भाटापारा | ज्ञान, श्रद्धा और कृतज्ञता की त्रिवेणी से अभिसिंचित वातावरण में आज दिल्ली वर्ल्ड पब्लिक सीनियर सेकेंडरी स्कूल, खमरिया भाटापारा में “गुरु सम्मान-3.0” का भव्य, दिव्य एवं अनुशासनपरक आयोजन सम्पन्न हुआ। यह शिक्षण साधना का अनुपम महोत्सव शिक्षकों के प्रति आदर, समर्पण और गौरव की भावना का उत्सव बनकर उभरा। रायपुर, बिलासपुर, बलौदाबाज़ार तथा समीपवर्ती क्षेत्रों से 100 से अधिक प्रतिष्ठित प्रधानाचार्य तथा शिक्षक-शिक्षिकाएँ इस समारोह में सहभागी बने और शिक्षा क्षेत्र में नवाचार तथा समर्पण की आवश्यकता पर विचार-विमर्श किया।
समारोह का शुभारंभ माँ सरस्वती के तैल चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन से हुआ, जिससे परिसर में ज्ञान, प्रकाश और प्रेरणा की अलौकिक आभा व्याप्त हो गई। विद्यालय के प्रबंधक अश्विनी शर्मा, संदीप गोयल तथा प्रधानाचार्य योगेश पोपट ने मुख्य अतिथियों का पुष्पगुच्छ भेंट कर आत्मीय अभिनंदन किया। प्रधानाचार्य योगेश पोपट ने अपने स्वागत उद्बोधन में गुरु को बालकों के भविष्य का शिल्पकार बताते हुए शिक्षण कार्य को साधना स्वरूप प्रतिष्ठित किया।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता प्रोफेसर वरा प्रसाद कोल्ला (डायरेक्टर, एमिटी यूनिवर्सिटी, रायपुर) ने शिक्षा क्षेत्र में नवाचारों की अनिवार्यता पर प्रकाश डाला। वहीं डॉ. बृजेश पटेल (डीन, रिसर्च एंड डेवलपमेंट, मैट्स यूनिवर्सिटी, आरंग) ने समसामयिक शिक्षा प्रणाली के बहुआयामी लाभों का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत किया। एम॰एन॰ सिंह (स्कूल विज्ञान समन्वयक, एन॰एच॰ गोयल, रायपुर) ने शिक्षकों की भूमिका को राष्ट्र निर्माण में आधारस्तंभ बताते हुए तार्किक, विवेकपूर्ण और मूल्य आधारित शिक्षण पर बल दिया तथा कहा कि शिक्षकों को केवल “टीचर” नहीं बल्कि “आचार्य”, “गुरु” एवं “मार्गदर्शक” के रूप में कार्य करना चाहिए।
विद्यालय के छात्र-छात्राओं ने गुरु वंदना पर आधारित समवेत नृत्य एवं गायन से उपस्थित जनसमूह को भाव-विभोर कर दिया। मंच संचालन का दायित्व सी॰एल॰ शुक्ल एवं निशा विश्वकर्मा ने सौम्यता, कुशलता और सटीकता के साथ निभाया। समारोह में उपस्थित सभी अतिथियों को मोमेंटो, साल तथा श्रीफल भेंट कर सम्मानित किया गया। जूनियर विंग की कोऑर्डिनेटर विद्या रात्रे ने भावपूर्ण ‘वोट ऑफ़ थैंक्स’ प्रस्तुत कर आयोजन की गरिमा और सौहार्द को और समृद्ध किया।
समारोह का समापन “अतिथि देवो भव:” की सनातन परंपरा का पालन करते हुए सामूहिक आरती से हुआ, जिसमें सभी उपस्थित जन श्रद्धा और भाव-विभोर होकर सम्मिलित हुए। राष्ट्रगान के साथ समारोह का औपचारिक समापन घोषित किया गया। जलपान तथा रात्रिभोज की सुसज्जित एवं सुव्यवस्थित व्यवस्था ने आयोजन को और अधिक आकर्षक, आत्मीय एवं सहज बनाया।
यह आयोजन न केवल शिक्षकों का अभिनंदन था, बल्कि ज्ञान, संस्कार, सेवा और प्रेरणा की ज्योति प्रज्वलित कर शिक्षण क्षेत्र को नये आयाम प्रदान करने का सार्थक प्रयास सिद्ध हुआ। उपस्थित सभी जनों ने आयोजन की अनुशासित व्यवस्था, गरिमामयी प्रस्तुति तथा शिक्षण साधना के प्रति समर्पण की मुक्त कंठ से प्रशंसा की।