पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गिरफ्तारी से बचने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, सोमवार को होगी सुनवाई, भाजपा ने कहा – अगर निर्दोष हैं तो डर किस बात का?

रायपुर | छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शराब, कोयला और महादेव सट्टा एप घोटालों में संभावित गिरफ्तारी से बचने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दायर की है। याचिका में बघेल ने आग्रह किया है कि उन्हें किसी भी प्रकार की पुलिस या एजेंसी की गिरफ्तारी से संरक्षण दिया जाए और उन्हें जांच में सहयोग का अवसर प्रदान किया जाए। इस याचिका पर सुनवाई सोमवार, 4 अगस्त को होनी है।
याचिका में भूपेश बघेल ने यह भी उल्लेख किया है कि जिस तरह उनके पुत्र चैतन्य बघेल को राजनीतिक द्वेष के तहत गिरफ्तार किया गया, वैसी ही आशंका उनके साथ भी जताई जा रही है। उन्होंने कहा कि इन मामलों में उन्हें बिना किसी ठोस प्रमाण के निशाना बनाया जा रहा है।
भारतीय जनता पार्टी ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व मुख्यमंत्री की मंशा पर सवाल उठाए हैं। राज्य के कृषि मंत्री राम विचार नेताम ने तीखा तंज कसते हुए कहा, अगर भूपेश बघेल निर्दोष हैं तो अग्रिम जमानत की जरूरत क्यों पड़ी? यह वही कहावत है — चोर की दाढ़ी में तिनका। नेताम ने कहा कि जांच एजेंसियां पूरी तरह निष्पक्ष रूप से कार्य कर रही हैं और कानून से ऊपर कोई नहीं है।
बड़ी पड़ताल: किन मामलों में आया नाम?
- शराब घोटाला:
राज्य की पूर्ववर्ती सरकार पर आरोप है कि शराब की आपूर्ति और वितरण नीति में व्यापक अनियमितताएं हुईं। इसमें ठेकेदारों को गलत तरीके से लाभ पहुंचाने और सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाने के आरोप शामिल हैं। - कोयला घोटाला :
राज्य में खनन पट्टों के आवंटन और संचालन में कथित घोटाले को लेकर प्रवर्तन निदेशालय और आयकर विभाग ने पूछताछ तेज कर दी है। आरोप है कि कुछ कंपनियों को नियमों के विरुद्ध लाभ पहुंचाया गया। - महादेव सट्टा ऐप मामला:
देशभर में छाया यह डिजिटल सट्टा एप छत्तीसगढ़ से संचालित बताया गया। इस एप के माध्यम से करोड़ों रुपये के लेन-देन और हवाला कारोबार का खुलासा हुआ है। इस मामले में देश के कई हिस्सों में गिरफ्तारियां हो चुकी हैं, जिनमें छत्तीसगढ़ से जुड़े नाम भी सामने आए हैं।
भूपेश बघेल द्वारा सुप्रीम कोर्ट में अग्रिम जमानत की याचिका दाखिल किए जाने पर कांग्रेस ने इसे “राजनीतिक बदले की कार्रवाई” बताया है। पार्टी का कहना है कि भाजपा सरकार विपक्ष को दबाने के लिए एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है।
वहीं भाजपा ने कांग्रेस के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए इसे “कानून के अनुसार कार्रवाई” बताया है। भाजपा नेताओं का कहना है कि किसी के खिलाफ अगर साक्ष्य हैं, तो कानून अपना काम करेगा, चाहे वह कितना भी बड़ा नाम क्यों न हो।
पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा सुप्रीम कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दाखिल करना राज्य की राजनीति में हलचल का संकेत है। यह देखना अब अहम होगा कि सुप्रीम कोर्ट सोमवार को इस याचिका पर क्या निर्णय देता है। अगर याचिका खारिज होती है, तो गिरफ्तारी की संभावनाएं और बढ़ सकती हैं, वहीं याचिका स्वीकार होने पर बघेल को अस्थायी राहत मिल सकती है।