छत्तीसगढ़

प्रदेश में पहली बार ब्रेनडेड मरीज की किडनी, लीवर का ट्रांसप्लांट,दिल व आंखें भी दान

Share this

रायपुर: छत्तीसगढ़ में कैडेवर यानी ब्रेनडेड मरीजों के अंग दूसरे जरूरतमंद मरीजों को ट्रांसप्लांट करने की पॉलिसी लागू होने के बाद शनिवार को पहली बार ब्रेनडेड महिला की किडनी और लीवर दो जरूरतमंदों को दी गई। मरीज का हार्ट सत्यसांई अस्पताल के हार्ट बैंक में सुरक्षित रखा गया है। जरूरतमंद मरीज को हार्ट का वाल्व ट्रांसप्लांट किया जाएगा। मरीज का नेत्रदान भी किया गया। उसके दोनों कार्निया एम्स अस्पताल भेजे गए हैं।

ब्रेनडेड मरीज के परिजनों ने शुक्रवार की शाम अंगों को दान करने की अनुमति दी। उसके बाद स्टेट आर्गन टिशु एंड ट्रांसप्लांट आर्गेनाइजेशन यानी सोटो एक्शन में आया। सोटो में किडनी-लीवर के लिए रजिस्ट्रेशन करवाने वाले मरीजों को जब ट्रांसप्लांट की सूचना दी गई, तब वे साे रहे थे। उन्हें कॉल कर कहा- तुरंत अस्पताल पहुंचिए आपका ट्रांसप्लांट होगा। आनन-फानन में मरीज अस्पताल पहुंचे। शनिवार देर रात तक पचपेढ़ीनाका स्थित एक प्राइवेट अस्पताल में किडनी और लीवर ट्रांसप्लांट चल रहा था।

अब दूसरे राज्यों के नहीं लगाने होंगे चक्कर

राज्य शासन ने करीब तीन महीने पहले ही कैडेवर की अनुमति दी है। उसी पॉलिसी से एक ब्रेनडेड मरीज से चार लोगों की जिंदगी में खुशियां लौटी हैं। अभी तक ये पॉलिसी राज्य में लागू नहीं थी। इस वजह से ऐसे मरीज जिनके परिजनों के आर्गन मैच नहीं करते थे, उन्हें अपने मरीज की जिंदगी के लिए दूसरे राज्यों में जहां कैडेवर पॉलिसी लागू हैं वहां के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। मरीज को छत्तीसगढ़ में ही ब्रेनडेड मरीजों के आर्गन मिल जाएंगे। यहां रजिस्ट्रेशन होने से वेटिंग लिस्ट भी ज्यादा नहीं रहेगी यानी ज्यादा दिनों तक इंतजार भी नहीं करना पड़ेगा।

एम्स में होगा कार्निया ट्रांसप्लांट

ब्रेनडेड मरीज से दो किडनी फेरियर मरीज को नया जीवन मिला। एक लीवर फेल मरीज को भी नई जिंदगी मिली। इसी तरह मरीज के दो कार्निया दो ऐसे मरीजों को दिए जाएंगे जो देख नहीं पाते हैं। कार्निया ट्रांसप्लांट एम्स अस्पताल में किया जाएगा। कार्निया वहीं भेजे गए हैं। इसी तरह नवा रायपुर स्थित सत्य सांई संजीवनी अस्पताल में मरीज का हार्ट भेजा गया। वहां हार्ट बैंक खुल चुका है। मरीज के हार्ट को वहीं रखा गया है। एक निर्धारित अवधि के भीतर अगर कोई जरूरतमंद मरीज आया तो मरीज को हार्ट का वाल्व ट्रांसप्लांट किया जाएगा।

ब्रेन हेमरेज से महिला ब्रेनडेड हुई, फिर ऐसे शुरू हुई प्रक्रिया

कैडेवर पाॅलिसी के तहत जिस महिला मरीज के शरीर के अंगों को दान किया गया, उनकी मौत ब्रेन हेमरेज हुई है। डाॅक्टरों ने उनके परिजनों को इसकी जानकारी दी और कहा कि वे इनके आर्गन दान कर सकते हैं। परिजनों ने शुक्रवार शाम इसका फैसला लिया और प्रबंधन को अपनी इच्छा बताई। फिर सोटो के डायरेक्टर डाॅ. जैन को सूचना दी गई। ब्रेनडेड घोषित करने वाली विशेषज्ञों की कमेटी को सूचना दी गई। उन्होंने कुछ जरूरी टेस्ट करवाए। उसकी रिपोर्ट करीब 4-5 घंटे में आई। इस वजह से शुक्रवार-शनिवार देर रात मरीज के सभी अंग निकाले गए। कुछ घंटों बाद ट्रांसप्लांट शुरू किया गया। चूंकि मरीज के परिजन प्रचार नहीं चाह रहे थे, इसलिए इस पूरी प्रक्रिया को बेहद गोपनीय रखा गया है।

सोटो में रजिस्टर्ड मरीज रिकाॅर्ड चेक करने के बाद सलेक्शन

आर्गन दान लेने वाले मरीजों ने सोटो में अपना रजिस्ट्रेशन करवाया है। सोटो के अफसरों को जैसे ही ब्रेनडेड मरीज के अंगदान में मिलने की सूचना मिली, उन्होंने सबसे पहले रजिस्टर्ड मरीजों का रिकार्ड चेक किया। ये देखा गया कि किस मरीज का ब्लड ग्रुप और अन्य जरूरी बातें ब्रेनडेड मरीज से मैच हो रही हैं? उसके बाद जिन मरीजों का ब्लड ग्रुप मैच हुआ उनका रजिस्ट्रेशन देखा गया। पहले नंबर पर जो मरीज थे उन्हें कॉल किया गया। प्रक्रिया में रात हो चुकी थी। मरीजों को जैसे जैसे फोन पहुंचा वे तुरंत परिवार वालों के साथ अस्पताल पहुंच गए।