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सिक्किम : सिक्किम में बादल फटने और बाढ़ के बाद मलबे में दबे बारूदों में हो रहे विस्फोट ने रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी टीम के सामने नई चुनौती खड़ी कर दी है. बारूदों की वजह से सर्च टीम को फूंक-फूंक कर कदम आगे बढ़ाना पड़ रहा है.दूसरी और खराब मौसम ने भी सर्च ऑपरेशन में अड़ंगा लगा दिया है. रह-रह कर हो रही बारिश की वजह से भी रेस्क्यू में देरी हो रही है. घटना में अब तक सात सैनिकों समेत 26 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 142 लोग अभी भी लापता बताए जा रहे हैं.
समाचार एजेंसी पीटीआई ने अधिकारियों के हवाले से कहा है कि बादल फटने और फिर आई बाढ़ में 25,000 से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं. घटना में 1200 से अधिक मकान क्षतिग्रस्त हो गए हैं. विभिन्न इलाकों से 2,413 लोगों को सुरक्षित निकाला गया. घटना के बाद से 6,875 लोग सरकार की ओर से बनाए गए करीब दो दर्जन शिविरों में आश्रय ले रखा है.
सर्च ऑपरेशन में जुटी टीम को उस समय दिक्कतों का सामना करना पड़ा जब तीस्ता नदी में बाढ़ के पानी में कथित तौर पर बह कर आए मोर्टार के एक गोले में विस्फोट हो गया. विस्फोट इतना तगड़ा था कि हादसे में पांच लोगों की मौत हो गई. पुलिस का मानना है कि मोर्टार का गोला सेना का था जो कि बादल फटने और बाढ़ आने के बाद पानी के साथ बहकर पहाड़ियों से नीचे आ गया था.
अब तक 26 शव बाहर निकाले गए
तीस्ता नदी में अचानक आई बाढ़ के तीन दिन बाद अब तक 26 शव बाहर निकाले जा चुके हैं. इनमें सेना के सात जवानों के शव भी शामिल हैं जो घटना के बाद बरदांग इलाके में लापता हो गए थे. वहीं, एक जवान को बचा लिया गया है, जबकि 15 जवानों की तलाश अभी भी जारी है. सिक्किम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के बुलेटिन में कहा 26 में 16 शवों को पाकयोंग जिले से बरामद किया गया है, जबकि गंगटोक में छह और मंगन जिले में चार लोगों की मौत हुई है.
सबसे ज्यादा तबाही चुंगथांग में
स्थानीय प्रशासन की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, बाढ़ ने सबसे ज्यादा तबाही चुंगथांग शहर में मचाई है. शहर का 80 फीसदी हिस्सा बाढ़ की चपेट में आ गया है. बाढ़ की वजह से नेशनल हाईवे-10 को भी भारी नुकसान पहुंचा है. हाईवे पर कई जगहों पर सड़क क्षतिग्रस्त हो गई है.
बादल फटने के बाद तीस्ता नदीं में आ गई थी बाढ़
दरअसल, बुधवार को ल्होनक झील के ऊपर बादल फटने से तीस्ता नदी अचानक उफान पर आ गई. नदी में इकट्ठा हुआ पानी चुंगथांग बांध की ओर से बह गया. पानी का बहाव इतना तेज था कि नदी पर बन रहे बिजली संयंत्र के बुनियादी ढांचे को ध्वस्त करते हुए निचले इलाके की ओर से बढ़ गया. जिसकी वजह से आसपास में बसे इलाकों में बाढ़ आ गई.