बस्तर नक्सल मुक्त घोषित : केंद्र ने हटाया LWE सूची से, अब बना ‘लेगसी डिस्ट्रिक्ट’

जगदलपुर (बस्तर)। छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले को नक्सल प्रभावित क्षेत्रों की सूची से बाहर करते हुए केंद्र सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बस्तर को वामपंथी उग्रवाद (Left Wing Extremism – LWE) प्रभावित जिलों की सूची से हटाकर “लेगसी डिस्ट्रिक्ट” के रूप में वर्गीकृत किया है। बस्तर के कलेक्टर श्री हरीश. एस ने इस निर्णय की पुष्टि की है।
इस बदलाव के साथ ही बस्तर जिले को केंद्र सरकार की ओर से मिलने वाली LWE फंडिंग पर भी रोक लगा दी गई है। यह विशेष आर्थिक सहायता जिले को नक्सल विरोधी अभियानों और आधारभूत विकास कार्यों के लिए प्रदान की जाती थी। यह सहायता मार्च 2025 तक स्वीकृत थी, जिसके बाद इसे बंद कर दिया गया है।
बस्तर जिले के कई क्षेत्र, जैसे कि कोलेंग, तुलसीडोंगरी, माचकोट, तिरिया और लोहंडीगुड़ा, लंबे समय तक नक्सली गतिविधियों से प्रभावित रहे हैं। इन क्षेत्रों में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए राज्य एवं केंद्र सरकार ने मिलकर कई सुरक्षा कैंप और चौकियां स्थापित की थीं। झीरम घाटी, कोलेंग, मारडूम, ककनार और चित्रकोट जैसे क्षेत्रों में पुलिस और सीआरपीएफ की तैनाती की गई थी।
LWE सूची से बाहर होने के क्या हैं मायने?
LWE श्रेणी से बाहर होने का अर्थ है कि बस्तर अब आधिकारिक रूप से नक्सल प्रभावित जिला नहीं माना जाएगा। हालांकि इससे मिलने वाली विशेष आर्थिक सहायता बंद हो जाएगी, लेकिन यह फैसला संकेत देता है कि जिले में शांति व्यवस्था और विकास की दिशा में ठोस प्रगति हुई है।
बस्तर संभाग में बदलाव की बयार
बस्तर संभाग में कुल सात जिले बस्तर, दंतेवाड़ा, बीजापुर, सुकमा, नारायणपुर, कोंडागांव और कांकेर शामिल हैं। इनमें से दो जिलों को नक्सल मुक्त घोषित किया गया है। इसके अतिरिक्त, वर्ष 2025 में राजनांदगांव, कवर्धा और खैरागढ़-छुईखदान-गंडई जिलों को भी LWE सूची से बाहर किया गया था।
सरकार का लक्ष्य: 2026 तक नक्सलवाद मुक्त छत्तीसगढ़
केंद्र और राज्य सरकार का संयुक्त लक्ष्य है कि 31 मार्च 2026 तक छत्तीसगढ़ को पूरी तरह से नक्सलवाद मुक्त घोषित किया जाए। बस्तर को LWE सूची से हटाया जाना इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।