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मणिपुर में हिंसा: तनाव के बीच जिरिबाम में हालात काबू में, बुजुर्ग की हत्या के बाद भड़की थी हिंसा, 70 घर फूंक दिए गए थे

णिपुर में हिंसा की घटनाएं कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। जिरिबाम जिले में एक बार फिर हिंसा भड़क गई। यहां शनिवार को संदिग्ध उग्रवादियों ने दो पुलिस चौकियों और कम से कम 70 घरों में आग लगा दी थी, जिससे हालात बिगड़ गए।

हालांकि, रविवार को स्थिति को नियंत्रण कर लिया गया था।

एक अधिकारी ने बताया कि घटना शनिवार शाम को हुई। इसके बाद प्रभावित इलाकों में अतिरिक्त सुरक्षा बलों को तैनात किया गया।

मणिपुर पुलिस ने बताया, ‘जिरिबाम जिले में हिंसक उपद्रव के बाद स्थिति तनावपूर्ण है। हालांकि हालात नियंत्रण में है। यहां शरारती तत्वों ने दो पुलिस पिकेट, एक वन बीट कार्यालय और मैतेई व कुकी दोनों समुदायों से संबंधित कई घरों में आग लगा दी थी।’

सोशल मीडिया पर नजर
उन्होंने आगे कहा, ‘पुलिस सोशल मीडिया की भी सक्रिय रूप से निगरानी कर रही है। सोशल मीडिया पर शरारती तत्व समुदायों के बीच सांप्रदायिक भावनाओं को भड़का सकते हैं। साथ ही आम जनता से अफवाहों को हवा देने से बचने को कहा है।’

गुरुवार से ही सख्ती
एक अधिकारी ने शुक्रवार को बताया था कि उग्रवादियों द्वारा एक 59 वर्षीय व्यक्ति की हत्या के मामले में लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। इस प्रदर्शन को देखते हुए राज्य सरकार ने कर्फ्यू लगाने का फैसला लिया था। सोइबम शरतकुमार सिंह का शव मिलने के बाद स्थानीय लोगों ने कुछ जगहों पर आग लगा दी थी। इस घटना को देखते हुए गुरुवार रात से ही निषेधाज्ञा लागू कर दी गई थी।

जिरिबाम में क्यों भड़की हिंसा?
पुलिस ने बताया कि जातीय संघर्ष से ग्रस्त मणिपुर के जिरिबाम जिले में गुरुवार शाम एक समुदाय के 59 वर्षीय व्यक्ति की हत्या के बाद तनाव पैदा हो गया था। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि पीड़ित गुरुवार को सुबह अपने खेत पर गया था, जहां से वह लापता हो गया। बाद में उसका शव बरामद किया गया। स्थानीय लोगों ने हत्या के बाद जिरिबाम थाने के बाहर विरोध जताया और मांग की कि चुनाव के मद्देनजर उनसे लिये गए लाइसेंसी हथियार अब उन्हें लौटा दिए जाएं। मणिपुर में पिछले साल से मई से जारी हिंसा से अब तक जिरिबाम अप्रभावित रहा है। यहां भी मेइती, मुस्लिम, नागा, कुकी और गैर-मणिपुरी लोग रहते हैं।

अनिश्चित काल के लिए लगा था कर्फ्यू
जिरिबाम जिले में संदिग्ध उग्रवादियों की ओर से 59 वर्षीय एक व्यक्ति की हत्या किए जाने पर हुए विरोध-प्रदर्शन के बाद छह जून को जिला प्रशासन ने वहां अनिश्चित काल के लिए कर्फ्यू लगा दिया था। जिरिबाम जिले में हुई हत्या से यहां ताजा जातीय हिंसा भड़क उठी है जबकि अभी तक यह क्षेत्र हिंसा से अप्रभावित रहा था।

एक साल से जारी है मणिपुर में हिंसा
बता दें कि मणिपुर में पिछले एक साल से ही हिंसा जारी है। दरअसल, मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में पिछले साल तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद झड़पें शुरू हुई थीं। राज्य में तब से अब तक कम से कम 160 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। हिंसा में सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है और हजारों लोग विस्थापित हुए हैं।

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Kailash Jaiswal

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