शराब मुक्त शहर और गांव… या सिर्फ़ कागज़ों में?

भाटापारा :-समय बदलता है—कभी अवैध शराब की खबरों से पुलिस प्रेस विज्ञप्ति भरी रहती थी, तो अब दौर आ गया है चाकूबाज़ी, धारदार हथियार और हत्या जैसे मामलों का। ऐसा लगता है जैसे अवैध शराब की कार्यवाही पुलिस के लिए अब सिर्फ़ खाना-पूर्ति का औपचारिक खेल बनकर रह गई है।
पुलिस नशामुक्ति अभियान चला रही है—स्कूलों में भाषण, ग्रामीणों के बीच जागरूकता कार्यक्रम। मगर हक़ीक़त यह है कि इन्हीं स्कूलों के पचास मीटर के दायरे में गुटखा, सिगरेट और नशे का सामान खुलेआम बिक रहा है। शायद इसलिए क्योंकि अभियान का असर सिर्फ़ फोटो खिंचवाने और कागज़ी रिपोर्ट में दिख रहा है, ज़मीन पर नहीं।
अब सवाल यह है कि भाटापारा सच में शराब और नशे से मुक्त हो रहा है, या सिर्फ़ प्रेस विज्ञप्तियों और फाइलों में?
👉 असली नशामुक्ति तब होगी जब पुलिस खाना-पूर्ति छोड़कर जड़ पर हाथ डाले। वरना दौर चाहे बदलता रहे—नाम बदलेंगे, हथियार बदलेंगे, पर अपराध यूं ही चलता रहेगा।