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Shani Sade Sati on Aquarius: 23 अक्टूबर से शनि मकर राशि में मार्गी हुए है. इसके पहले ये मकर राशि में ही वक्री थे. मौजूदा समय में कुंभ राशि पर शनि की साढ़े साती का दूसरा चरण चल रहा है.
Shani Sade Sati: कुंभ राशि पर है शनि साढ़ेसाती का सबसे कष्टकारी चरण, जानिए कब मिलेगी मुक्ति
शनि की साढ़ेसाती
Shani Sade Sati On Kumbh Rashi: ज्योतिष शास्त्र में शनि का राशि परिवर्तन या उनकी चाल में परिवर्तन को काफी अहम माना गया है. इन्हें न्याय का देवता और कर्म फलदाता भी कहा गया है. सूर्य पुत्र शनि हर जातकों को उनके कर्मों के अनुसार फल प्रदान करते हैं. जो लोग अच्छे कर्म करते हैं उन्हें अच्छा फल प्रदान करते हैं और जो लोग बुरे कर्म करते हैं उन्हें कठोर दंड देते हैं.
पंचांग के मुताबिक शनि 23 अक्टूबर को मकर राशि में मार्गी हुए हैं अर्थात वे सीधी चाल से चल रहें हैं. शनि देव कुंभ और मकर राशि के स्वामी ग्रह हैं. इस समय कुंभ राशि पर शनि की साढ़े साती का दूसरा चरण चल रहा है. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार यह शनि की साढ़े साती का सबसे कष्टकारी चरण है. आइये जानें शनि की साढ़े साती के प्रभाव को कम करने के उपाय और कुंभ राशि को साढ़ेसाती से कब मुक्ति मिलेगी?
कुंभ राशि पर साढ़ेसाती का दूसरा चरण
पंचांग के मुताबिक, शनि ग्रह 29 अप्रैल 2022 को मकर राशि से निकलकर कुंभ राशि में प्रवेश किये थे. इसके बाद से कुंभ राशि के जातकों पर शनि की साढ़ेसाती का सबसे कष्टकारी यानी दूसरा चरण शुरू हो गया था. इस समय जहां मीन राशि, कुंभ राशि और मकर राशि के जातक शनि के साढ़ेसाती से ग्रसित हुए हैं. वहीं कर्क राशि व वृश्चिक राशि के जातक ढैय्या के प्रभाव से पीड़ित हुए हैं.
मौजूदा समय में क्या है शनि की स्थिति?
पंचांग के मुताबिक, शनि 23 अप्रैल 2022 को कुंभ राशि में प्रवेश किये और 5 जून को वक्री चाल से यानी उल्टी चाल से चलना शुरू किये. उसके बाद 12 जुलाई 2022 को वक्री अवस्था में मकर राशि में प्रवेश किये और अब 23 अक्टूबर को मकर राशि में मार्गी हुए हैं. इसके बाद शनि 17 जनवरी 2023 को शनि पुनः कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे. इसके बाद से कुंभ राशि वालों के कष्ट और अधिक बढ़ेंगे.
शनि की साढ़ेसाती से कुंभ राशि वालों को कब मिलेगी मुक्ति?
कुंभ राशि वालों पर शनि की साढ़ेसाती 24 जनवरी 2022 से शुरू हुई थी तथ इसे मुक्ति 3 जून 2027 को मिलेगी.
साढ़ेसाती के दूसरे चरण का प्रभाव
शनि की साढ़ेसाती के दूसरे चरण में जातक को मानसिक, शारीरिक व आर्थिक कष्टों का सामना करना पड़ता है.