एयर प्यूरीफायर पर टैक्स कम होगा या नहीं? हाई कोर्ट ने सरकार को घेरा

नई दिल्ली। एयर प्यूरीफायर पर लगाए जा रहे वस्तु एवं सेवा कर (GST) को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान तीखी बहस देखने को मिली। कोर्ट ने इस मुद्दे पर केंद्र सरकार से विस्तृत जवाब दाखिल करने को कहा है और इसके लिए 10 दिनों की समय-सीमा तय की है। मामले की अगली सुनवाई 9 जनवरी को होगी।
शुक्रवार को हुई सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट को बताया कि एयर प्यूरीफायर पर GST घटाने या समाप्त करने का निर्णय केवल GST काउंसिल की आमने-सामने होने वाली बैठक में ही लिया जा सकता है। सरकार ने स्पष्ट किया कि इस तरह का फैसला वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए नहीं हो सकता।
GST काउंसिल की प्रक्रिया पर जोर
जस्टिस विकास महाजन और जस्टिस विनोद कुमार की वेकेशन बेंच के समक्ष पेश हुए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एन. वेंकटरमन ने कहा कि इस विषय में विस्तृत काउंटर एफिडेविट दाखिल करना आवश्यक है। उन्होंने कोर्ट से इसके लिए समय मांगा, जिसे स्वीकार करते हुए बेंच ने केंद्र को 10 दिन का वक्त दिया।
याचिका की वैधता पर आपत्ति
केंद्र सरकार ने एयर प्यूरीफायर को मेडिकल डिवाइस घोषित करने की मांग वाली जनहित याचिका (PIL) पर भी सवाल उठाए। सरकार का कहना था कि याचिका में सार्वजनिक स्वास्थ्य नीति से जुड़े मुद्दे उठाए गए हैं, लेकिन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को पक्षकार नहीं बनाया गया, जिससे याचिका की वैधता संदिग्ध हो जाती है।
सरकार की ओर से यह भी कहा गया कि GST जैसे संवेदनशील विषय पर बिना तय संवैधानिक प्रक्रिया के निर्देश देना भविष्य में गंभीर जटिलताएं पैदा कर सकता है।
याचिकाकर्ता का तर्क
वहीं, याचिकाकर्ता की ओर से दलील दी गई कि एयर प्यूरीफायर पर गलत GST स्लैब के तहत कर वसूला जा रहा है। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन पर संसदीय स्थायी समिति की सिफारिशों का हवाला देते हुए कहा गया कि एयर प्यूरीफायर स्वास्थ्य से जुड़ा उपकरण है, न कि लग्ज़री वस्तु।
कोर्ट का रुख
दिल्ली हाईकोर्ट ने साफ किया कि केंद्र सरकार का जवाब आए बिना वह कोई अंतिम आदेश पारित नहीं कर सकता। फिलहाल, अब सभी की नजरें 9 जनवरी की अगली सुनवाई और केंद्र सरकार के जवाब पर टिकी हैं, जिससे यह तय हो सकेगा कि एयर प्यूरीफायर पर GST में कोई राहत मिलेगी या नहीं।



