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छत्तीसगढ़

आदिवासियों की पैतृक जमीन पर साजिश: बीजापुर में आदिवासी के जमीनों को बड़े पैमाने पर हड़पने का गंभीर आरोप

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बीजापुर : बस्तर संभाग के आदिवासी बहुल जिले बीजापुर में संविधान की पांचवीं अनुसूची, पेसा कानून और पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार) अधिनियम लागू होने के बावजूद आदिवासियों की बेशकीमती पैतृक जमीनों को सुनियोजित ढंग से हड़पा जा रहा है। इस मामले ने तब तूल पकड़ा जब बुधवार को जिला मुख्यालय में विधायक विक्रम मंडावी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर राज्य सरकार पर खुलेआम आदिवासियों की जमीन लुटने देने का सनसनीखेज आरोप लगाया।

विधायक मंडावी ने कहा, “बीजापुर जिला अनुसूचित क्षेत्र है। यहाँ आदिवासी अपनी मिट्टी को माँ कहकर पूजते हैं। लेकिन आज छल, कपट और कूटरचित दस्तावेजों के जरिए उनकी सदियों पुरानी पैतृक जमीनें गैर-आदिवासियों के नाम की जा रही हैं। यह सिर्फ जमीन का मामला नहीं, आदिवासी अस्मिता, संस्कृति और अस्तित्व पर सीधा हमला है।”

विधायक विक्रम मंडावी ने प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि “तहसील उसूर के ग्राम संकनपल्ली में आदिवासी परिवारों की लगभग 41 हेक्टेयर से अधिक बहुमूल्य कृषि भूमि को पहले एक गैर-आदिवासी रामसिंग पिता बुधराम यादव (जाति रावत) ने अपने नाम कर लिया और फिर उसे जगदलपुर निवासी कमलदेव झा व अन्य को को बेच दिया।

विधायक ने कहा संकनपल्ली के ग्रामीणों ने उन्हें बताया कि जिन खसरा नंबरों की जमीन इस सौदे में शामिल की गई, वे मूल रूप से निम्नलिखित आदिवासी परिवारों के नाम दर्ज है जो इस प्रकार हैं-

1. खसरा 314 (5.634 हे.) – बतक्का यालम 2. खसरा 400 (5.831 हे.) – यालम लक्ष्मीनारायण, कामेश यालम 3. खसरा 435 (6.144 हे.) – यालम लक्ष्मीनारायण 4. खसरा 437 (5.843 हे.) – धरमैया यालम, पवन, राजैया, गौरैया 5. खसरा 613 (4.897 हे.) – बसवैया जव्वा 6. खसरा 648/3 (2.023 हे.) – शांता जव्वा, मोहन जव्वा 7. खसरा 650/2 (0.809 हे.) – दशरथ जव्वा, कामेश जव्वा 8. खसरा 651/3 (1.214 हे.) – नागैया यालम 9. खसरा 631 (4.076 हे.) – बिचमैया टिंगे, चलमैया, शिवैया 10. खसरा 658/2 (5.031 हे.) – हनुमंत यालम, शंकर, सम्मैया आदि इन सभी खसरा मालिकों के नाम स्पष्ट रूप से आदिवासी हैं और ये जमीनें पीढ़ी-दर-पीढ़ी से उनके पास हैं।


विधायक विक्रम मंडावी ने प्रेस वार्ता में आगे कहा कि भूमाफियाओ द्वारा संकनपल्ली के जमीनों को सबसे पहले रामसिंग यादव के नाम कराई गईं जो संकनपल्ली गांव का रहने वाला है। फिर रामसिंग ने अपने नाम की जमीन को जगदलपुर के कमलदेव झा व अन्य दो को बेच दिया इसके बाद तहसीलदार उसूर ने बिना किसी जांच-पड़ताल के जमीन के दस्तावेज तैयार करवा दिए, अब क्रेता कमलदेव झा व अन्य दो पटवारी पर दबाव डाल रहे है कि उनकी जमीन को कंप्यूटर में ऑनलाइन कर दिया जाए।

विक्रम मंडावी आगे कहा कि “सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि इस पूरे घटनाक्रम की भनक गांव के किसी भी व्यक्ति को नहीं लगी। न ग्राम सभा को सूचना, न पंचायत को खबर मिली पूरी प्रक्रिया को गुपचुप तरीक़े से किया गया।”

विधायक विक्रम मंडावी ने सवाल पूछते हुए कहा-

1. कमलदेव झा आखिर है कौन? वह गैर-आदिवासी है, फिर पांचवीं अनुसूची वाले क्षेत्र में इतनी बड़ी आदिवासी जमीन उसके नाम कैसे हो गई?
2. एक साथ दर्जनों खसरा नंबरों की इतनी बड़ी जमीन एक व्यक्ति ने कैसे खरीद ली और एक ही झटके में बेच दी?
3. तहसीलदार, पटवारी और उप-पंजीयक ने बिना किसी वैध अनुमति और ग्राम सभा की सहमति के नामांतरण और रजिस्ट्री कैसे कर दी?
4. क्रेता अब पटवारी पर जमीनीं के दस्तावेजों को कंप्यूटर में ऑनलाइन दर्ज करने दबाव क्यों डाल रहे हैं? क्या आगे और बड़ी साजिश रची जा रही है?

विधायक विक्रम मंडावी ने सरकार से मांग की है कि: इस पूरे मामले की उच्च-स्तरीय न्यायिक जांच हो। दोषी अधिकारी एवं गैर-आदिवासी भूमाफिया पर तत्काल FIR दर्ज हो। सभी अवैध रजिस्ट्रियां एवं नामांतरण रद्द किए जाएं। आदिवासियों की पैतृक जमीन उन्हें तत्काल वापस दिलाई जाए। भविष्य में ऐसी घटनाओं पर रोक लगाने के लिए सख्त कानून बनाया जाए।

वहीं ग्रामीणों का कहना है कि यदि उनकी जमीन नहीं लौटाई गई तो वे बड़ा आंदोलन करने को मजबूर होंगे। यह मामला सिर्फ संकनपल्ली गांव का नहीं, पूरे बस्तर के आदिवासियों के अस्तित्व का सवाल बन चुका है।
प्रेस वार्ता के दौरान पीड़ित लोगों के साथ जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष लालू राठौर, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष शंकर कुड़ियम, पूर्व जिला पंचायत उपाध्यक्ष कमलेश कारम, पीसीसी सदस्य आर. वेणुगोपाल राव, ज्योति कुमार, वरिष्ठ कांग्रेस नेता प्रवीण डोंगरें, ब्लॉक कांग्रेस कमेटी उसूर के अध्यक्ष मनोज अवलम, जिला महामंत्री जितेंद्र हेमला, पूर्व पालिका उपाध्यक्ष पुरुषोत्तम सल्लूर, बीजापुर नगर कांग्रेस अध्यक्ष पुरुषोत्तम खत्री, एजाज सिद्दीकी, पार्षद बबीता झाड़ी, कविता यादव, बोधि ताती, श्यामू गुप्ता और लक्ष्मण कड़ती सहित बड़ी संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ता मौजूद रहे।

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Kailash Jaiswal

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