21 साल बाद SIR की वापसी, छत्तीसगढ़ में शुरू हुई मतदाता सूची सुधार प्रक्रिया

भारत निर्वाचन आयोग ने पारदर्शी और सटीक मतदाता सूची सुनिश्चित करने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। आयोग ने देश के 12 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में मतदाता सूची के व्यवस्थित गहन पुनरीक्षण (Systematic Intensive Revision – SIR) की प्रक्रिया शुरू करने की घोषणा की है। इस अभियान में छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश भी शामिल हैं, जहां अब मतदाता सूची की व्यापक समीक्षा और अद्यतन कार्य किया जाएगा।
मतदाता सूची को बनाया जाएगा त्रुटि-मुक्त
इस विशेष अभियान के तहत बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) घर-घर जाकर मतदाताओं से संपर्क करेंगे। वे प्रत्येक परिवार को आवश्यक प्रपत्र उपलब्ध कराएंगे, उन्हें भरने में मदद करेंगे और बाद में उन्हें वापस एकत्र करेंगे। निर्देशों के अनुसार, हर BLO को प्रत्येक घर पर कम से कम तीन बार विज़िट करनी होगी, ताकि कोई भी पात्र नागरिक सूची से छूट न जाए और किसी का नाम गलत तरीके से दर्ज न हो सके।
क्यों जरूरी है यह पहल
निर्वाचन आयोग के अनुसार, कानून के तहत मतदाता सूची का नियमित पुनरीक्षण जरूरी है—चुनाव से पहले या जब भी इसकी आवश्यकता महसूस हो। पिछले कुछ वर्षों में विभिन्न राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों ने मतदाता सूची की सटीकता पर सवाल उठाए थे। इन्हीं चिंताओं को ध्यान में रखते हुए आयोग ने 21 साल बाद SIR प्रक्रिया को फिर से लागू करने का निर्णय लिया है।
दो दशक बाद फिर शुरू हुई गहन जांच
1951 से 2004 के बीच आयोग ने कुल आठ बार SIR आयोजित किया था, जबकि आखिरी बार यह प्रक्रिया 2002–2004 के दौरान हुई थी। अब दो दशक से अधिक समय बाद आयोग फिर से इस प्रणाली को लागू कर रहा है, ताकि मतदाता सूची में मौजूद त्रुटियों को दूर किया जा सके और निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया को और मजबूत बनाया जा सके।
मतदाता सूची में गड़बड़ियों के मुख्य कारण
- चुनाव आयोग के अनुसार, समय के साथ मतदाता सूची में कई त्रुटियाँ पाई गई हैं। इनमें प्रमुख कारण हैं —
- लोगों का एक स्थान से दूसरे स्थान पर प्रवास (Migration) करने से एक ही व्यक्ति का नाम कई सूचियों में दर्ज हो जाना।
- मृत मतदाताओं के नामों का समय पर न हटना।
- कभी-कभी विदेशी नागरिकों के नामों का गलती से सूची में शामिल हो जाना।
इस गहन पुनरीक्षण से आयोग का लक्ष्य है कि देश की मतदाता सूची अधिक सटीक, पारदर्शी और भरोसेमंद बने, ताकि हर पात्र नागरिक का नाम शामिल हो और कोई भी त्रुटि लोकतंत्र की नींव को प्रभावित न करे।



