सड़क हादसों पर हाईकोर्ट की सख्ती, कहा – सरकार बताए रोकथाम के ठोस कदम

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने राज्य में लगातार बढ़ते सड़क हादसों पर कड़ी नाराज़गी जताई है। अदालत ने कोरबा जिले में सिर्फ एक महीने के भीतर 200 से अधिक मौतों की खबर पर स्वतः संज्ञान लेते हुए सरकार और संबंधित विभागों से जवाब मांगा है।
मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति ए.के. प्रसाद की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि सड़क हादसों में इतनी बड़ी संख्या में हो रही मौतें प्रशासन की लापरवाही को दर्शाती हैं। कोर्ट ने टिप्पणी की कि भारी वाहनों की अनियंत्रित आवाजाही, सड़कों की खराब हालत और ट्रैफिक प्रबंधन की कमी आम नागरिकों की जान के लिए गंभीर खतरा बन चुकी है।
कोर्ट कमिश्नर अपूर्व त्रिपाठी और रविंद्र शर्मा द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में खुलासा किया गया कि जुलाई महीने में कोरबा में सड़क दुर्घटनाओं के कारण लगभग 200 लोगों की जान गई। रिपोर्ट में बताया गया कि एनएच-130 पर तीन किलोमीटर तक ट्रक और हाइवा वाहनों की लंबी कतारें लग जाती हैं, जिससे हादसे बढ़ रहे हैं।
हाईकोर्ट ने राख और कोयला परिवहन की अनियमितताओं पर चिंता जताते हुए उद्योग विभाग को इस पर कड़ी निगरानी रखने के निर्देश दिए। अदालत ने कहा कि खराब सड़कों की जिम्मेदारी पीडब्ल्यूडी और एनएचएआई दोनों पर है। पीडब्ल्यूडी सचिव ने जानकारी दी कि अंबिकापुर–रामगढ़वा मार्ग (एनएच-343) के सुधार के लिए 740 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं, हालांकि बरसात के कारण कार्य फिलहाल रुका हुआ है।
यह मामला तब शुरू हुआ जब ब्रेक फेल होने से 19 लोगों की मौत के बाद कोर्ट ने राज्यभर की सड़कों की स्थिति पर निगरानी शुरू की थी। अब न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि सड़क सुरक्षा से जुड़ी प्रगति की नियमित मॉनिटरिंग की जाएगी। मामले की अगली सुनवाई 29 अक्टूबर को निर्धारित की गई है।