छत्तीसगढ़ में मितानिनों की काम बंद–कलम बंद हड़ताल शुरू, सरकार से 9 सूत्रीय मांगों पर तत्काल कार्रवाई की मांग


रायपुर | प्रदेशभर में सामुदायिक स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ मानी जाने वाली मितानिनों, मितानिन प्रशिक्षकों, हेल्थ डेस्क फेसिलिटेटरों और ब्लॉक को-ऑर्डिनेटरों ने आज से काम बंद–कलम बंद हड़ताल शुरू कर दी है। यह हड़ताल छत्तीसगढ़ प्रदेश स्वास्थ्य मितानिन संघ के आव्हान पर की जा रही है। मितानिनों का कहना है कि उनकी वर्षों से लंबित मांगों को लेकर शासन गंभीर नहीं है, जिससे उन्हें आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ा है।
मितानिन संघ की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि उन्हें नियमित वेतन, समय पर प्रोत्साहन राशि और सेवा सुरक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं से लगातार वंचित रखा गया है। वहीं वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी द्वारा अपने घोषणापत्र में मितानिनों के राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) में संविलियन और वेतन में 50 प्रतिशत वृद्धि का वादा किया गया था, लेकिन दो साल बीत जाने के बाद भी इन वादों पर कोई अमल नहीं हुआ।
संघ का कहना है कि सरकार केवल आश्वासन देती रही है, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। दिसंबर 2024 में भी मितानिनों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल की थी, जिसके बाद शासन ने मांगों पर सहानुभूति पूर्वक विचार करने का भरोसा दिलाया था। लेकिन अब तक सिर्फ बातचीत और फाइलों में ही कार्रवाई सीमित रह गई है।
मितानिनों ने यह भी स्पष्ट किया कि वे अब एनजीओ के माध्यम से काम नहीं करना चाहतीं और सीधे शासन के अधीन काम करने की मांग कर रही हैं। इसके साथ ही मितानिन कल्याण कोष को जारी रखने, मितानिन प्रशिक्षकों को एनएचएम के तहत स्वीकृत ₹400 प्रतिमाह की राशि का शीघ्र भुगतान और आशा रिसोर्स सेंटर के तहत कार्य संचालन के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी करने की मांगें भी शामिल हैं।
प्रदेशभर में हड़ताल से स्वास्थ्य सेवाओं पर असर पड़ने की आशंका है। मितानिनों ने साफ कहा है कि जब तक शासन लिखित रूप से उनकी मांगों को स्वीकार नहीं करता, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा। सरकार की ओर से अभी तक इस हड़ताल पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।