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New Delhi: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 9 अगस्त को एक स्वास्थ्य योद्धा के खिलाफ की गई हिंसा को पूरी मानवता को शर्मिंदा करने वाली क्रूरता की चरम सीमा बताया है। रविवार को उत्तराखंड के ऋषिकेष में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में विद्यार्थियों और संकाय सदस्यों को संबोधित करते हुए श्री जगदीप धनखड़ ने कहा कि ऐसी बर्बर घटनाएं पूरी सभ्यता को शर्मिंदा करती हैं और भारत के आदर्शों को तहस-नहस कर देती हैं।
उपराष्ट्रपति ने कुछ भटके हुए लोगों द्वारा ‘लक्षणात्मक विकृति’ शब्द के इस्तेमाल पर दुःख व्यक्त करते हुए कहा कि इस तरह के बयान हमारे असहनीय दर्द को और बढ़ाते हैं तथा हमारी घायल अंतरात्मा पर नमक छिड़कते हैं।
जगदीप धनखड़ ने कहा, “जब मानवता शर्मसार होती है, तब कुछ भटके हुए लोंगों की आवाज़ें चिंता का कारण बनती हैं। उनके इस प्रकार के विचार केवल हमारे असहनीय दर्द को बढ़ाते हैं। सही शब्दों में कहें तो वे हमारी घायल अंतरात्मा पर नमक छिड़क रहे हैं और वे कह रहे हैं कि “यह एक लक्षणात्मक विकृति है, एक सामान्य घटना है।” उन्होंने कहा कि जब यह बात कोई ऐसा व्यक्ति कहता है जो संसद सदस्य है, एक वरिष्ठ वकील है, तो यह अपराध चरम सीमा पर पहुंच जाता है। इस तरह के राक्षसी विचारों के लिए कोई बहाना नहीं हो सकता। मैं ऐसे गुमराह व्यक्तियों से अपनी इस प्रकार की सोच पर फिर से विचार करने और सार्वजनिक रूप से माफी मांगने का आह्वान करता हूं। यह ऐसी घटना नहीं है जिसे आपको राजनीतिक चश्मे से देखना चाहिए, यह आपकी निष्पक्षता को खत्म कर देता है।”
अपने संवैधानिक पद के आधार पर चिकित्सा जगत और इस देश की महिलाओं के प्रति अपने उत्तरदायित्व को स्वीकार करते हुए, श्री धनखड़ ने कहा, “मैं आपके सामने हूं। वास्तव में एक संवैधानिक पद पर रहते हुए, मुझे अपना उत्तरदायित्व निभाना होगा, मुझे उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति के रूप में अपने पद को उचित ठहराना होगा।”
उन्होंने कहा, “ऐसी घटनाओं से हमारा दिल घायल होता है, हमारी अंतरात्मा रो रही है और हमारी आत्मा जवाबदेही की मांग कर रही है।”
चिकित्सा पेशेवरों के काम को भगवान कृष्ण द्वारा बताए गए ‘निष्काम सेवा’ के रूप में संदर्भित करते हुए, बिना किसी अपेक्षा के सिर्फ अपना कर्तव्य निभाते हुए, उपराष्ट्रपति ने किसी भी रूप में डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा के कृत्यों की घोर निंदा की।
डॉक्टरों की कार्यस्थल पर सुरक्षा के लिए अपनी चिंता व्यक्त करते हुए, उन्होंने एक ऐसी व्यवस्था बनाने पर जोर दिया जहां स्वास्थ्य योद्धा पूरी तरह से सुरक्षित रहें।