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BBN24: भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 2 अगस्त को समाप्त सप्ताह में 7.533 अरब डॉलर बढ़कर 674.919 अरब डॉलर की नई ऊंचाई पर पहुंच गया है। यह वृद्धि मुख्यतः विदेशी मुद्रा आस्तियों और स्वर्ण आरक्षित में हुई वृद्धि के कारण है।
- रिकॉर्ड वृद्धि: विदेशी मुद्रा भंडार में यह वृद्धि भारत की अर्थव्यवस्था की मजबूती और वैश्विक निवेशकों के विश्वास का प्रतीक है।
- विदेशी मुद्रा आस्तियां: विदेशी मुद्रा आस्तियां, जो भंडार का सबसे बड़ा हिस्सा हैं, में 5.162 अरब डॉलर की वृद्धि हुई है। इसका मतलब है कि भारत के पास डॉलर के अलावा यूरो, पौंड और येन जैसी अन्य विदेशी मुद्राओं में भी अधिक निवेश है।
- स्वर्ण आरक्षित: स्वर्ण आरक्षित में भी 2.404 अरब डॉलर की वृद्धि हुई है। सोना एक सुरक्षित निवेश माना जाता है और इसे आमतौर पर मुद्रास्फीति और आर्थिक अस्थिरता के खिलाफ एक सुरक्षा कवच के रूप में देखा जाता है।
- विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर): हालांकि, एसडीआर में मामूली गिरावट देखी गई है। एसडीआर अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) द्वारा जारी किए जाने वाले विशेष आहरण अधिकार हैं।
इस वृद्धि के कारण:
- विदेशी निवेश: विदेशी निवेशकों द्वारा भारत में निवेश बढ़ने से विदेशी मुद्रा की आवक बढ़ी है।
- रिमिटेंस: भारतीय प्रवासियों द्वारा भेजे जाने वाले धन (रिमिटेंस) में वृद्धि से भी विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि हुई है।
- व्यापार अधिशेष: भारत का व्यापार अधिशेष होने से भी विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि हुई है।
- केंद्रीय बैंक की नीतियां: रिजर्व बैंक की नीतियां भी विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि को प्रभावित करती हैं।
- आर्थिक स्थिरता: उच्च विदेशी मुद्रा भंडार भारत की अर्थव्यवस्था को अधिक स्थिर बनाता है।
- ऋण रेटिंग: उच्च विदेशी मुद्रा भंडार से भारत की ऋण रेटिंग में सुधार हो सकता है।
- विदेशी मुद्रा में अस्थिरता के खिलाफ सुरक्षा: उच्च विदेशी मुद्रा भंडार भारत को विदेशी मुद्रा में अस्थिरता के खिलाफ एक सुरक्षा कवच प्रदान करता है।
- आयात भुगतान में आसानी: उच्च विदेशी मुद्रा भंडार से भारत को आयात भुगतान करने में आसानी होती है।
निष्कर्ष:
विदेशी मुद्रा भंडार में यह रिकॉर्ड वृद्धि भारत की अर्थव्यवस्था के लिए एक सकारात्मक संकेत है। यह दर्शाता है कि भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत है और वैश्विक निवेशकों का विश्वास जीत रही है।