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Karma, Kansa Vadh : कृष्ण और कंस की कथा तो हर कोई जानता है लेकिन कंस से जुड़ी कुछ रोचक और महत्वपूर्ण बातें यहां बताई जा रही है. जो कि शायद आप नहीं जानते होंगे. धर्म ग्रंथों के अनुसार, 3 नवंबर को कंस वध दिवस है. मथुरा के राजा कंस, भगवान कृष्ण के मामा थे. कंस ने अपने पिता उग्रसेन को गद्दी से हटाकर मथुरा पर जबरन कब्जा कर लिया था. आइये जानें मथुरा के दुष्ट राजा कंस की पैदाइश और उसके जन्म को लेकर कई अनसुनी बातें जो शायद ही आपने कहीं पढ़ी या देखी होगी
हर जन्म में मिला एक ही श्राप
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कंस को हर जन्म में भगवान विष्णु के द्वारा मारे जाने का श्राप मिला था. इसी कारण अपने पिछले जन्म में भी भगवान विष्णु के हाथों मृत्यु पायी थी. आइये जानें क्यों और कैसे?
द्वापर युग में कंस ने हिरण्याक्ष के घर पर उसके बेटे के रूप में जन्म लिया था. इसका नाम कालनेमि था. असुर कालनेमि के छह बेटे और एक बेटी हुई. बेटी का नाम वृंदा था. वृंदा का विवाह जालंधर राक्षस से हुआ था जिसका बाद में भगवान विष्णु ने वरण किया और वह तुलसी वृन्दावन कहलायीं.
कालनेमि बहुत दुष्ट था. स्कन्द पुराण की एक कथा के अनुसार, उसने दैत्यों की सेना के साथ देवताओं पर आक्रमण कर दिया था ताकि वह अमृत कलश को देवताओं से छीन सकें. इस पर क्रोधित होकर भगवान विष्णु ने उसका अंत कर दिया. ऐसे में कालनेमि के छह बेटों यानी हिरण्याक्ष के पोते ने उसके असुर स्वरुप से परिचित थे और इस कारण उन्होंने उसका गुणगान करने से माना कर दिया था. इस कारण उन सभी को हिरण्याक्ष ने श्राप दिया था कि वे पातालवासी हो जाएं. मगर कालनेमि के पुत्रों ने बहुत पुण्य कर्म किये थे जिसके प्रभाव से उन पर इस श्राप का अलग प्रभाव पड़ा.
हिरण्याक्ष से था सीधा संबंध
हिरण्याक्ष ने देवी पृथ्वी को बहुत परेशान किया था जिसके कारण भगवान विष्णु ने वराह अवतार लेकर हिरण्याक्ष को पानी में डुबो कर मार डाला था. इसके बाद कालनेमि ने राजा उग्रसेन और उनकी पत्नी पद्मावती के घर में कंस के रूप में जन्म लिया.
कंस के इतने उत्पाती और दुष्ट होने के पीछे एक और कारण बताया जाता है. पद्मा पुराण की एक कथा के अनुसार द्रामिल नाम के एक मायावी गन्धर्व ने उग्रसेन का रूप बना कर छल से पद्मावती को गर्भवती कर दिया. इस कथा के अनुसार, कंस इसी राक्षस द्रामिल और पद्मावती का पुत्र था. इस वजह से अपने पुत्र कंस से उन्हें कोई प्रेम नहीं था.
एक कथा में यह भी कहा गया है कि स्वयं कंस की मां ने ही उसे यह श्राप दिया था कि उन्ही के परिवार का कोई बालक उसकी मृत्यु का कारण बनेगा. कंस की एक चचेरी बहन थी जिसका नाम देवकी था. वह देवकी से बड़ा प्रेम करता था. देवकी की शादी पर एक भविष्यवाणी हुई कि कंस को देवकी का ही पुत्र मरेगा. भविष्यवाणी सुनकर कंस ने देवकी और उसके पति वासुदेव को कैद कर लिया और देवकी को जो भी संतान हुई उसे एक-एक कर मार डाला. ये कालनेमि के ही पुत्र थे. उनके 6 पुत्रों ने ही यहां पर देवकी की कोख से जन्म लिया था.
कथा के अनुसार, दरअसल कालनेमि के इन पुत्रों के जन्म पर भी यही श्राप था कि उनकी मृत्यु स्वयं कालनेमि के हाथों से होगी और इसी कारण इस जन्म में कंस ने देवकी की कोख से जन्म ले रहे अपने ही पुराने पुत्रों को मार डाला.
पापों का भार यूं चढ़ा कंस पर
इस प्रकार कंस पर पापों का भार चढ़ता ही गया था. आखिर में स्वयं भगवान विष्णु ने कृष्ण के रूप में धरती पर जन्म लिया और गोकुल में पलने लगे. मगर उनका असली उद्देश्य तो कंस से अपने माता-पिता और नाना को छुड़ाना था. कंस द्वारा बहुत ढूंढने के बाद जब भगवान कृष्ण मिले तो उन्होंने भगवान कृष्ण को द्वन्द युद्ध करने के लिए मथुरा बुलाया. भगवान कृष्ण ने कंस की इस चुनौती को स्वीकार कर बलराम के साथ मथुरा रवाना हो गए.
भगवान कृष्ण को मरवाने के लिए कंस ने उनके रास्ते में एक पागल हाथी छोड़वा दिया था लेकिन कृष्ण ने उस हाथी को हरा दिया और मथुरा पहुंचे. इसके बाद कंस ने उन्हें अपने दो सबसे अच्छे पहलवान मुष्टिका और चाणूर को हरा कर दिखाने को कहा. तब दोनों भाई-कृष्ण और बलराम ने इन्हें भी हरा दिया. इसके बाद भगवान कृष्ण ने कंस से उनकी तलवार छीनकर उनका सर कलम कर दिया, तथा अपने प्रियजनों को कारागार से मुक्त कराया. इस प्रकार कंस को भी भगवन विष्णु के हाथों से मरने का मौका मिला जिसके कारण उसके इस जन्म के भी सभी पाप धुल गए.