
नई दिल्ली: भारत के सबसे बड़े दुश्मन और अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम को लेकर बड़ी खबर सामने आ रही है। सोशल मीडिया पर दावा किया जा रह है कि पाकिस्तान के कराची के अस्पताल में दाऊद इब्राहिम को जहर दिया गया है। जहां उनकी हालत नाजुक है। वहीं कुछ लोगों का कहन है कि उसकी इलाज के दौरान मौत हो गई है, जिसे पाकिस्तान छुपाकर रखना चाहता है। हालांकि, अभी तक किसी भी सरकारी एजेंसी या मीडिया द्वारा इसकी पुष्टि नहीं की गई है। एक ऐसा भी समय था जब बंबई की सड़कों पर दाऊद का नाम पुकारने के लिए लोग डरते थे।
अपराध की दुनिया में दाऊद की कैसे हुई शुरुआत
दरअसल, दाऊद का जन्म साल 1955 में महाराष्ट्र के रत्नागिरी में हुआ था। दाऊद के माता-पिता ने उसका नाम शेख दाऊद इब्राहिम कासकर रखा। पिता इब्राहिम कास्कर पुलिस कॉन्स्टेबल थे। जैसे जैसे दाऊद बड़ा होता गया। वैसे ही उनका चाहत बढ़ता गया और वो अपने मोहल्ले के लड़कों के साथ घूमने लगा। उनके परिवार वालों ने उन्हें काफी समझाइश भी दिए, लेकिन वो नहीं माना। धीरे धीरे वो अपराध करता गया। जिसके बाद वो मुंबई में रहते-रहते अंडरवर्ल्ड का हिस्सा बनने का सपना देखा।
तस्करी से हुई सफर की शुरुआत
दाऊद धीरे-धीरे चोरी, डकैती और तस्करी करने लगा। जालसाजी और धोखाधड़ी करने लगा और फिर बंबई के कुख्यात गैंगस्टर करीम लाला के गैंग में शामिल हो गया। यहां से वह हाजी मस्तान की गैंग में गया।
1981 में दाऊद के भाई शब्बीर की हत्या
दाऊद धीरे-धीरे गैंगस्टार बनते गए और अपने भाई शब्बीर के साथ मिलकर चोरी, डकैती और तस्करी करने लगा और फिर बाद में दोनों के बीच दुश्मनी बढ़ गई। जिसके बाद करीम लाला के पठान गैंग ने दाऊद के भाई को मौत के घाट उतार दिया।जिसके बाद दाऊद भागकर दुबई चला गया और वहां आलीशान मकान में रहने लगा। वहां रहते हुए दाऊद अपने गैंग को बंबई में एक्टिव किया। जिसे छोटा राजन चलाता था। कहा जाता है कि मीडिया ने दाऊद गैंग का नाम डी कंपनी रख दिया था, जो चोरी, डकैती और तस्कती में लिप्त था।
1993 की घटना के अपराधी घोषित
आपको बता दें कि 1993 की घटना के बाद दाऊद को भारत सरकार ने अपराधी घोषित कर दिया। फोर्ब्स मैगजीन में दाऊद का नाम पहले नंबर पर अपराधियों की लिस्ट में शामिल था। यह दावा भी किया जाता है कि 26/11 के हमलों में भी दाऊद का हाथ बताया जाता है।