फर्जी सिम और मोबाइल पर नकेल: संचार साथी प्लेटफॉर्म से हर मिनट तेज़ कार्रवाई जारी

नई दिल्ली | देश में मोबाइल और डिजिटल धोखाधड़ी पर लगाम कसने के लिए केंद्र सरकार की पहल अब ठोस नतीजे देने लगी है। दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा संचालित ‘संचार साथी’ प्लेटफॉर्म ने मोबाइल सुरक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है। हाल में जारी आंकड़ों के मुताबिक यह सिस्टम बेहद तेज़ी से संदिग्ध गतिविधियों पर कार्रवाई कर रहा है।
DoT के अनुसार, संचार साथी के माध्यम से औसतन हर मिनट 6 मोबाइल फोन को ब्लॉक किया जा रहा है, जबकि 4 मोबाइल डिवाइस की ट्रेसिंग भी प्रति मिनट की दर से की जा रही है। इसके अलावा, चोरी या गुम हुए मोबाइल फोनों की रिकवरी में भी यह प्लेटफॉर्म कारगर साबित हुआ है, जहां हर दो मिनट में करीब 3 मोबाइल फोन बरामद किए जा रहे हैं।
संचार साथी सिर्फ तकनीकी प्लेटफॉर्म नहीं, बल्कि साइबर अपराधों के खिलाफ एक मजबूत सुरक्षा कवच बनकर उभरा है। इसके जरिए नागरिक संदिग्ध कॉल, फर्जी मैसेज या वॉट्सऐप के जरिए होने वाले धोखाधड़ी की शिकायत सीधे दर्ज कर सकते हैं। जांच में फ्रॉड की पुष्टि होने पर संबंधित नंबर के साथ-साथ उस मोबाइल हैंडसेट का IMEI नंबर भी ब्लॉक कर दिया जाता है, जिससे डिवाइस का दोबारा इस्तेमाल संभव नहीं रह जाता।
यह प्लेटफॉर्म खोए या चोरी हुए मोबाइल फोन को बेकार करने और उन्हें ट्रेस करने में भी अहम भूमिका निभा रहा है। यूजर पुलिस शिकायत के आधार पर अपने फोन का IMEI नंबर पोर्टल पर दर्ज कर सकता है। इसके बाद फोन किसी भी नेटवर्क पर सक्रिय नहीं हो पाता और नई सिम डालते ही उसकी लोकेशन का पता लगाया जा सकता है।
सुरक्षा के लिहाज से संचार साथी पर एक और उपयोगी सुविधा उपलब्ध है, जिसके जरिए लोग यह जांच सकते हैं कि उनके नाम पर कितने सिम कार्ड सक्रिय हैं। यदि कोई अनजान नंबर सूची में दिखाई देता है, तो उसे तुरंत रिपोर्ट कर बंद कराया जा सकता है। इसके अलावा, सेकंड हैंड या नए मोबाइल फोन की खरीद से पहले IMEI नंबर डालकर यह भी जांचा जा सकता है कि फोन असली है या नकली, और कहीं चोरी का तो नहीं है।
विशेषज्ञों का मानना है कि संचार साथी प्लेटफॉर्म डिजिटल इंडिया के तहत नागरिकों की सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम है, जिससे मोबाइल फ्रॉड और साइबर अपराधों पर प्रभावी नियंत्रण संभव हो सका है।



