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अंतर्राष्ट्रीयराजनीति

उन्हीं दो भरोसेमंदों ने पलट दी बाज़ी, शेख हसीना को सजा-ए-मौत

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ढाका : बांग्लादेश की इंटरनेशनल ट्रिब्यूनल कोर्ट (ICT) ने देश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ बड़ा और अप्रत्याशित फैसला सुनाते हुए उन्हें जुलाई 2024 के छात्र आंदोलन में हुई सामूहिक हिंसा का दोषी ठहराया है और मौत की सज़ा दी है।जुलाई 2024 में ढाका में फूटा छात्र आंदोलन तेजी से हिंसक हो गया था। आंदोलन को शांत करने के लिए की गई पुलिस कार्रवाई में 1400 लोगों की मौत हुई थी। लंबे समय तक चले मुकदमे के बाद कोर्ट ने माना कि इस कार्रवाई की जिम्मेदारी सीधे तौर पर तत्कालीन सरकार और खुद हसीना की नीतियों पर थी।

दो भरोसेमंद चेहरे बने सबसे बड़े घातक मोड़

इस मामले में सबसे बड़ा झटका यह रहा कि हसीना के खिलाफ सबसे अहम गवाही उन्हीं दो व्यक्तियों से आई, जिन्हें वह अपना सबसे वफादार और विश्वसनीय मानती थीं। उनकी गवाही ने पूरे केस को उलट कर रख दिया और अभियोजन पक्ष को मजबूत आधार दे दिया।

कौन हैं वे दो प्रमुख नाम?

  1. वकार उज जमां — सेना प्रमुख, जिन्होंने पलट दी पूरी बाज़ी

वकार उज जमां, जिन्हें जून 2024 में खुद शेख हसीना ने सेना प्रमुख बनाया था, राजनीतिक हलकों में उनके रिश्तेदार और भरोसेमंद व्यक्ति माने जाते थे।लेकिन विद्रोह के दौरान वकार की भूमिका पर बड़े सवाल उठे। आरोप है कि उन्होंने विदेशों से मिले दबाव के बाद विद्रोह को नियंत्रित करने में जानबूझकर देरी की।
जब हालात नियंत्रण से बाहर हो गए, वकार ने ही हसीना को इस्तीफा देने और देश छोड़ने का सुझाव दिया। उन्होंने आश्वासन दिया कि स्थिति सामान्य होने के बाद सत्ता में वापसी संभव होगी।लेकिन हसीना के देश छोड़ते ही वकार ने तेजी से अंतरिम सरकार गठन की प्रक्रिया शुरू कर दी, जिससे राजनीतिक समीकरण पूरी तरह बदल गए।

  1. अल मामून — पूर्व IGP, जो बने मुकदमे के ‘टर्निंग पॉइंट’

अल मामून, जो जुलाई 2024 में बांग्लादेश के पुलिस महानिरीक्षक थे, शुरुआती आरोपपत्र में हसीना के साथ सह-अभियुक्त थे।ट्रायल के दौरान उन्होंने सरकार का पक्ष स्वीकार कर लिया और मुख्य गवाह बन गए। उन्होंने अदालत में कई गुप्त जानकारियों और उच्च-स्तरीय बैठकों का खुलासा किया, जिनका अब तक कोई आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं था।उसी समय एक ऑडियो क्लिप भी वायरल हुआ, जिसमें कथित रूप से हसीना को पुलिस को गोलीबारी के आदेश देते सुना गया।गवाही के बदले मामून को कम सज़ा मिली— कोर्ट ने उन्हें 5 साल की सजा सुनाई, जिनमें से 17 महीने वे पहले ही जेल में काट चुके हैं।

भारत की भूमिका बनी सबसे बड़ा सवाल

अंतरिम सरकार अब इंटरपोल के जरिये शेख हसीना के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय वारंट जारी करने की तैयारी में है। माना जा रहा है कि यह वारंट भारत सरकार को भेजा जाएगा, क्योंकि हसीना फिलहाल भारत में मौजूद हैं।
अब दुनिया की नजर भारत पर टिक गई है कि वह प्रत्यर्पण के मुद्दे पर राजनीतिक, कूटनीतिक और कानूनी तर्कों के आधार पर क्या फैसला लेता है।

आने वाले चुनाव और नरमी के संकेत

अगले छह महीनों में बांग्लादेश में आम चुनाव होने हैं। इस बीच पूर्व विपक्षी दल BNP ने संकेत दिया है कि सत्ता में आने के बाद वे बदले की राजनीति नहीं करेंगे।BNP महासचिव मिर्जा फखरुल ने कहा कि वे कई मामलों की समीक्षा करेंगे और जरूरत पड़ी तो मुकदमे वापस भी लिए जा सकते हैं। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट नहीं किया कि राहत किन मामलों में मिलेगी और किन में नहीं।

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Kailash Jaiswal

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