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सुप्रीम कोर्ट की बड़ी पीठें जल्द ही दशकों से से लंबित मामलों के निपटारे की प्रक्रिया शुरू करेंगी। इन मामलों में धन विधेयक, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) का अल्पसंख्यक दर्जा, विधायकों को अयोग्य ठहराने की स्पीकर की शक्ति और विधायी विशेषाधिकारों का दायरा आदि मामले शामिल हैं।सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने बृहस्पतिवार को सात जजों वाली पीठ के छह और नौ जजों की पीठ के चार मामलों पर विचार किया। पीठ ने कहा कि वह यह सुनिश्चित करने के लिए एक सामान्य प्रक्रियात्मक आदेश जारी करेगी की जब भी ये मामले लिए जाएं तो आने वाले कुछ हफ्तों में अंतिम सुनवाई के लिए तैयार हों। सीजेआई ने कहा कि इन सभी मामलों में दलीलों, दस्तावेजों और उदाहरणों का संकलन करने के लिए हम तीन हफ्ते का समय देंगे।
हम हर मामले में नोडल वकील नियुक्त करेंगे जो फिर एक सामान्य संकलन तैयार करेगा। पीठ ने इन मामलों में पेश होने वाले वकीलों से कहा कि वे प्रत्येक मामले में नोडल वकील के नाम बताएं। बहुत सारे मामले दशकों से लंबित हैं। एन रवि और अन्य बनाम तमिलनाडु विधानसभा अध्यक्ष मामले में सवाल उठाया गया है कि क्या मौलिक अधिकार संसदीय विशेषाधिकारों पर हावी हैं। यह मामला 2003 से संबंधित है जब पत्रकार एन रवि और अन्य ने तमिलनाडु विधानसभा अध्यक्ष के कालीमुथु की ओर से विशेषाधिकार उल्लंघन और अवमानना के लिए उनकी गिरफ्तारी का आदेश दिए जाने के बाद शीर्ष अदालत का रुख किया था।
ब्यूरोअलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का अल्पसंख्यक दर्जा
अलीगढ़ मुस्लिम विवि के अल्पसंख्यक दर्जा विवाद से जुड़ी याचिकाओं का है। तत्कालीन यूपीए सरकार ने 2006 में इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले के खिलाफ अपील दायर की थी, जिसमें कहा गया था कि विवि अल्पसंख्यक संस्थान नहीं है। विवि प्रशासन ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ याचिका दायर की थी। बाद में, एनडीए सरकार ने 2016 में शीर्ष अदालत को बताया कि वह पूर्ववर्ती यूपीए सरकार की अपील वापस ले लेगी।
धन विधेयक से जुड़ा मामला
सात जजों की पीठ धन विधेयक के विवाद से जुड़े मामले पर भी सुनवाई करेगी। सरकार की ओर से आधार विधेयक और यहां तक कि मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (पीएमएलए) में संशोधन को धन विधेयक के रूप में पेश करने के बाद कई याचिकाएं दायर की गईं। इसमें आरोप है कि सरकार ने राज्यसभा को दरकिनार किया क्योंकि उसके पास वहां बहुमत नहीं था। नवंबर 2019 में, शीर्ष अदालत की पांच सदस्यीय पीठ ने वित्त अधिनियम, 2017 को धन विधेयक के रूप में पारित करने की वैधता की जांच के मुद्दे को बड़ी पीठ के पास भेजा था।
नबाम रेबिया मामले में फैसले पर पुनर्विचार
सात जजों की पीठ विधायकों को अयोग्य ठहराने की स्पीकर की शक्ति से जुड़े नबाम रेबिया मामले में 2016 के पांच जजों की पीठ के फैसले पर पुनर्विचार से जुड़ा है। 2016 के फैसले के विरोध में कई याचिकाएं दाखिल हुई हैं। 2016 में, पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने अरुणाचल प्रदेश के नबाम रेबिया मामले का फैसला करते हुए कहा था कि विस अध्यक्ष विधायकों की अयोग्यता की याचिका पर आगे नहीं बढ़ सकते हैं यदि स्पीकर को हटाने की मांग करने वाला पूर्व नोटिस सदन के समक्ष लंबित है।