गणतंत्र दिवस पर झंडा फहराने से मना करने के आरोप, महिला आयोग में हुई सुनवाई

BBN24/बलौदा बाजार: छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक जिला पंचायत सभाकक्ष में महिला उत्पीडन से संबंधित प्रस्तुत प्रकरणों पर जनसुनवाई की। इस दौरान 34 मामलों की सुनवाई हुई। आयोग में महिला सरपंच ने शिकायत पर आयोग में सुनवाई शुरू हुई तो स्पष्ट हुआ कि सरपंच आयोग का फायदा उठाने के लिए पहुंची थी। सुनवाई के दौरान आयोग में ग्रामीणों ने महिला सरपंच की स्थिति स्पष्ट किया कि सरपंच और उनके पति फैक्ट्री को फायदा पहुंचाने के लिए यह शिकायत की हैं। इसके बाद आयोग की अध्यक्ष डॉ. नायक ने सरपंच को अपने विवेक से निर्णय लेने की सलाह दीं।
डॉ. किरणमयी नायक की अध्यक्षता में आज प्रदेश स्तर में 265वीं और बलौदा बाजार जिला स्तर में 7वें नम्बर की सुनवाई हुई। इसमें डॉ. नायक ने कहा कि महिलाएं पुरुषों के साथ कन्धा से कन्धा मिलाकर चल रही हैं। महिला जनप्रतिनिधि सक्षम बने और अपने विवेक से निर्णय लें। दरअसल हथबंद क्षेत्र के ग्राम मोहभट्ठा की सरपंच अंबिका महिलांग ने अपने गांव के ही 8 लोगों के खिलाफ गणतंत्र दिवस के अवसर पर 26 जनवरी 2024 को राष्ट्रीय ध्वज नहीं फहराने देने और प्रताड़ना करने की शिकायत की थी। शिकायत पर सुनवाई के दौरान यह स्पष्ट हुआ है कि सरपंच का पति ग्राम पंचायत के कार्यों में दखलंदाजी करता है। वह कभी कम्पनियों का विरोध कराते हैं और कभी कम्पनी को एनओसी देते हैं। अनावेदकगणों ने यह भी बताया कि 01 वर्ष पूर्व आवेदिका और रामा मेटल स्पंज पावर कम्पनी को पक्षकार बनाया है और मामला उच्च न्यायालय में लंबित है। साथ ही अनावेदकों ने सरपंच की कंपनी के साथ मिलीभगत होने और हाईकोर्ट में याचिका दायर करने के बाद महिला आयोग में झूठी शिकायत करने की जानकारी देते हुए महिला सरपंच का पोल खोल दिया। ऐसी दशा में आवेदिका को समझाईश दिया गया है कि वह अपने पद की जिम्मेदारियों का निर्वहन अपने विवेक से करें, अपने पति के इशारों पर न चले। इस निर्देश के साथ प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया।
बेटे के साथ महिला पहुंची आयोग बोली जिंदा हूं
महिला आयोग की सुनवाई में एक प्रकरण में आवेदिका अपने बेटे के साथ उपस्थित हुई। अनावेदक क्र 03 पटवारी हल्का नं. 37 उपस्थित थी। आवेदिका ने बताया कि उसके ग्राम कसहीडीह में 28 एकड़ पुश्तैनी जमीन है जिसके 4 हिस्सेदार थे। जिसमें आवेदिका के पिता भी एक हिस्सेदार थे। आवेदिका और उसका एक भाई कुल पुश्तैनी जमीन का 1/4 अर्थात 7 एकड़ जमीन में हकदार था। अनावेदक क्र 1 और 2 आवेदिका के बड़े पिता के बेटे हैं और आवेदिका के गांव से 15 किमी की दूरी में उनका गांव है और वे अच्छे से जानते हैं कि आवेदिका और उसका भाई जिन्दा है फिर भी पुश्तैनी जमीन को धोखाधड़ी से आवेदिका और उसके भाई को मृतक बताकर तहसीलदार और पटवारी से मिलकर अपने नाम पर चढा लिए। उपस्थित पटवारी को निर्देशित किया गया कि वह आगामी सुनवाई में आवेदिका की पुश्तैनी जमीन जो उसके दादा के नाम पर था, चारों बच्चे के नाम पर कब चढ़ाया गया और फिर सारी सम्पत्ति केवल अनावेदक 1 के दोनों बेटों के नाम पर कब और कैसे चढ़ाया गया है। इसकी जानकारी और समस्त दस्तावेज निकाल कर रायपुर महिला आयोग कार्यालय में उपस्थित होंगी।
आर्मी में है पति नौ माह पहले निकाल दिया घर से
आयोग में आवेदिका ने बताया कि उसका पति आर्मी में कार्यरत है। अनावेदक ने आवेदिका का 11 वर्षीय पुत्र को अपने साथ लेकर आवेदिका को मारपीट कर घर से निकाल दिया गया है। ऐसी दशा में आवेदिका और उसके बेटे का नाम सर्विस बुक में दर्ज है या नहीं इसकी जानकारी लेना आवश्यक है। अनावेदक को कमांडेंट के माध्यम से उसकी आवश्यक उपस्थित कराने का आयोग से पत्र भेजा जाएगा।
सीएमओ और शिक्षकों के खिलाफ शिकायत
आयोग में एक आवेदिका की शिकायत थी कि नगर पंचायत सिमगा के सीएमओ ने काम से निकाल दिया है। इस पर सीएमओ ने उपस्थित होकर बताया कि आवेदिका जय इन्टर प्राईजेस प्लेसमेंट की कर्मचारी थी। आवेदिका के खिलाफ पार्षद और नगर पंचायत के लिखित शिकायत के आधार पर अनावेदक ने प्रेषित मेल एजेंसी को पत्र भेजा था जिसके आधार पर आवेदिका को पद से हटाया गया था। इसी प्रकार बलौदा बाजार के पंडित लक्ष्मी प्रसाद तिवारी शासकीय कन्या उचित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के दो शिक्षकों के खिलाफ शिकायत थी। इस पर आयोग ने पाया कि कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न कानून के तहत आंतरिक परिवाद का गठन किया जाना था। नियमानुसार कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न कानून 2013 के तहत् आंतरिक परिवार समिति का गठन कर जांच किया जाना चाहिए था, लेकिन इसका पालन स्कूल के प्राचार्य के द्वारा नहीं किया गया है। इसलिए इस प्रकरण पर प्राचार्य को एक पत्र आयोग की ओर से भेजा जायेगा ताकि 02 माह के अंदर आंतरिक परिवार समिति का गठन कर जांच प्रक्रिया को पूर्ण कर प्रतिवेदन राज्य महिला आयोग में प्रेषित करें।