Pitru Paksha 2023: पितृ पक्ष आज से शुरू, जानें श्राद्ध की तिथियां, नियम, विधि और महत्व

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Pitru Paksha 2023: श्राद्ध के दौरान कुल देवताओं, पितरों और पूर्वजों के प्रति श्रद्धा प्रकट की जाती है. वर्ष में पंद्रह दिन की विशेष अवधि में श्राद्ध कर्म किए जाते हैं और इसकी शुरुआत आज से हो चुकी है.श्राद्ध पक्ष को पितृपक्ष और महालय के नाम से भी जाना जाता है. ऐसी मान्यता है कि श्राद्ध पक्ष के दौरान हमारे पूर्वज पृथ्वी पर सूक्ष्म रूप में आते हैं और उनके नाम से किए जाने वाले तर्पण को स्वीकार करते हैं. इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और घर में सुख-शांति बनी रहती है.

कब होता है पितृपक्ष ?
पितृपक्ष भाद्रपद की पूर्णिमा से ही शुरु होकर आश्विन मास की अमावस्या तक चलते हैं. आश्विन माह के कृष्ण पक्ष को ही पितृपक्ष कहा जाता है. भाद्रपद पूर्णिमा को उनका श्राद्ध किया जाता है जिनका निधन वर्ष की किसी भी पूर्णिमा को हुआ हो. शास्त्रों में भाद्रपद पूर्णिमा के दिन देह त्यागने वालों का तर्पण आश्विन अमावस्या को करने की सलाह दी जाती है. वहीं वर्ष के किसी भी पक्ष में जिस तिथि को घर के पूर्वज का देहांत हुआ हो उनका श्राद्ध कर्म पितृपक्ष की उसी तिथि को करना चाहिए.

पितृ पक्ष तिथि (Pitru Paksha 2023 Tithi)
पितृ पक्ष 29 सितंबर यानी आज से शुरू हो चुके हैं. इसकी प्रतिपदा तिथि आज दोपहर 3 बजकर 26 मिनट से लेकर 30 सितंबर यानी कल दोपहर 12 बजकर 21 मिनट तक रहेगी.

अनुष्ठानों का विशेष समय
पितृ पक्ष का कुतुप मुहूर्त 29 सितंबर यानी आज दोपहर 11 बजकर 47 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक रहेगा. साथ ही रौहिण मुहूर्त आज दोपहर 12 बजकर 35 मिनट से दोपहर 1 बजकर 23 मिनट तक रहेगा. अपराह्न काल आज दोपहर 1 बजकर 23 मिनट से लेकर दोपहर 3 बजकर 46 मिनट तक रहेगा.

श्राद्ध की तिथियां (Shradh 2023 tithi)
29 सितंबर 2023, शुक्रवार-पूर्णिमा श्राद्ध
30 सितंबर 2023, शनिवार-द्वितीया श्राद्ध
01 अक्टूबर 2023, रविवार-तृतीया श्राद्ध02 अक्टूबर 2023, सोमवार-चतुर्थी श्राद्ध03 अक्टूबर 2023, मंगलवार-पंचमी श्राद्ध04 अक्टूबर 2023, बुधवार-षष्ठी श्राद्ध05 अक्टूबर 2023, गुरुवार-सप्तमी श्राद्ध06 अक्टूबर 2023, शुक्रवार-अष्टमी श्राद्ध
07 अक्टूबर 2023, शनिवार-नवमी श्राद्ध
08 अक्टूबर 2023, रविवार-दशमी श्राद्ध
09 अक्टूबर 2023, सोमवार-एकादशी श्राद्ध
10 अक्टूबर 2023, मंगलवार-मघा श्राद्ध
11 अक्टूबर 2023, बुधवार-द्वादशी श्राद्ध
12 अक्टूबर 2023, गुरुवार-त्रयोदशी श्राद्ध
13 अक्टूबर 2023, शुक्रवार-चतुर्दशी श्राद्ध
14 अक्टूबर 2023, शनिवार-सर्व पितृ अमावस्या

पितृ पक्ष में कैसे करें पितरों को याद (How to remember ancestors during Pitru Paksha?)
पितृ पक्ष में हम अपने पितरों को नियमित रूप से जल अर्पित करें. यह जल दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके दोपहर के समय दिया जाता है. जल में काला तिल मिलाया जाता है और हाथ में कुश रखा जाता है. जिस दिन पूर्वज की देहांत की तिथि होती है, उस दिन अन्न और वस्त्र का दान किया जाता है. उसी दिन किसी निर्धन को भोजन भी कराया जाता है. इसके बाद पितृपक्ष के कार्य समाप्त हो जाते हैं.

पितृ पक्ष तर्पण विधि (Pitru Paksha 2023 Tarpan Vidhi)
प्रतिदिन सूर्योदय से पहले एक जूड़ी ले लें, और दक्षिणी मुखी होकर वह जूड़ी पीपल के वृक्ष के नीचे स्थापित करके, एक लोटे में थोड़ा गंगा जल, बाकी सादा जल भरकर लौटे में थोड़ा दूध, बूरा, काले तिल, जौ डालकर एक चम्मच से कुशा की जूडी पर 108 बार जल चढ़ाते रहें और प्रत्येक चम्मच जल पर यह मंत्र उच्चारण करते रहे.पितृ को प्रसन्न करने के लिए करें ये कामपितृ पक्ष में अगर कोई जानवर या पक्षी आपके घर आए, तो उसे भोजन जरूर कराना चाहिए. मान्‍यता है कि पूर्वज इन रूप में आपसे मिलने आते हैं. पितृ पक्ष में पत्तल पर भोजन करें और ब्राह्राणों को भी पत्तल में भोजन कराएं, तो यह फलदायी होता है.

इन कार्यों से नाराज होते हैं पितर (Pitru Paksha Dos and Donts)
श्राद्ध कर्म करने वाले सदस्य को इन दिनों बाल और नाखून नहीं काटने चाहिए. उन्हें ब्रह्मचर्य का पालन भी करना चाहिए. श्राद्ध कर्म हमेशा दिन में करें. सूर्यास्‍त के बाद श्राद्ध करना अशुभ माना जाता है. इन दिनों में लौकी, खीरा, चना, जीरा और सरसों का साग नहीं खाना चाहिए. जानवरों या पक्षी को सताना या परेशान भी नहीं करना है.

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