पंडी राम मंडावी को मिला पद्मश्री सम्मान: ‘बस्तर बांसुरी’ को दिलाई राष्ट्रीय पहचान

रायपुर। बस्तर की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और जनजातीय शिल्पकला को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने वाले नारायणपुर जिले के प्रख्यात लोक कलाकार पंडी राम मंडावी को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने वर्ष 2025 का पद्मश्री पुरस्कार प्रदान किया है। यह सम्मान उन्हें जनजातीय वाद्ययंत्र निर्माण और काष्ठ शिल्पकला के क्षेत्र में उनके विशिष्ट योगदान के लिए प्रदान किया गया है।
पंडी राम मंडावी ने गोंड और मुरिया जनजाति की परंपरागत लोककलाओं को संरक्षित रखने और उन्हें नई पीढ़ियों तक पहुंचाने के लिए निरंतर कार्य किया है। वे विगत पांच दशकों से बस्तर की सांस्कृतिक पहचान को न केवल जीवंत बनाए हुए हैं, बल्कि उसे वैश्विक मंच तक पहुंचाने में भी सफल रहे हैं।
उनकी विशिष्ट पहचान ‘बस्तर बांसुरी’ के नाम से जानी जाने वाली ‘सुलुर’ नामक पारंपरिक वाद्ययंत्र से जुड़ी है। इसके साथ ही उन्होंने लकड़ी पर नक्काशी, मूर्तिकला और अन्य काष्ठशिल्प कृतियों के माध्यम से भी बस्तर की लोककला को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।
मुख्यमंत्री साय ने दी बधाई
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने पंडी राम मंडावी को पद्मश्री सम्मान मिलने पर बधाई देते हुए कहा, “यह सम्मान प्रदेश की जनजातीय प्रतिभा और सांस्कृतिक विविधता का प्रतीक है। मंडावी जैसे कलाकारों ने सिद्ध किया है कि हमारी लोककला विश्व मंच पर अपनी विशिष्ट पहचान बना सकती है। यह उपलब्धि बस्तर की लोकपरंपरा, शिल्प और सांस्कृतिक चेतना के लिए गर्व का विषय है।”
68 हस्तियों को मिला पद्मश्री
राष्ट्रपति भवन में आयोजित दूसरे चरण के पद्म पुरस्कार समारोह में इस वर्ष कुल 68 विभूतियों को पद्मश्री से सम्मानित किया गया। पंडी राम मंडावी इस सूची में छत्तीसगढ़ से एकमात्र लोकशिल्पी हैं, जिनकी कला को यह प्रतिष्ठित राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त हुई है।
पंडी राम मंडावी की यह उपलब्धि आने वाली पीढ़ियों के लिए न केवल एक प्रेरणा है, बल्कि यह प्रमाण भी है कि समर्पण और साधना से लोककला को अंतरराष्ट्रीय मंच तक पहुंचाया जा सकता है।